आस्था का केंद्र है मतुआ समाज का हरिचांद मंदिर, देश की 13 नदियों के जल से बना कामना सागर

दिनेशपुर : आचार्य गोपाल जी महाराज ने नगर में श्री हरिचांद गुरुचांद धर्म मंदिर की स्थापना की थी। मंदिर में कामना सागर भी उसी समय बनाया गया था, जिसमें देश भर की 13 पवित्र नदियों का जल समाहित कर इसे कामना सागर का स्वरूप दिया गया था। श्री हरिचांद ठाकुर के अनुयायी तभी से इस कामना सागर में आस्था का स्नान करते आ रहे हैं। अनुयायियों में ऐसी आस्था है कि कोई व्यक्ति इस कामना सागर में स्नान करता है तो उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं। यही कारण है महावारुणि स्नान महोत्सव पर देशभर से उनके लाखों अनुयायी यहां स्नान करने पहुंचते हैं। मंदिर के संस्थापक आचार्य गोपाल महाराज का जन्म बांग्लादेश में हुआ था और वह अध्यापक थे। लेकिन वह समाज में दबे कुचले वर्ग के हितों के लिए कार्य करते थे। इधर, मतुआ मिशन के संस्थापक श्री हरिचांद ठाकुर भी गरीबों और निचले समाज के उत्थान के लिये कार्य करते थे। बांग्लादेश के ओडा कांडी धाम में श्री हरिचांद ठाकुर का मंदिर है।गोपाल महाराज ने वर्ष, 1985 में दिनेशपुर आकर इस मंदिर की स्थापना की। गोपाल महाराज निरंतर समाज में कार्य करते रहे थे। धीरे-धीरे तराई सहित पूरे देश में उनके भी लाखों अनुयायी हो गए। मंदिर परिसर में श्री ठाकुर जी के जन्मोत्सव पर तीन दिवसीय महावारुणि स्नान महोत्सव का आयोजन किया जाता है। उत्सव के दूसरे दिन शाही स्नान के उपरांत भक्त आस्था से ओतप्रोत होकर कामना सागर में स्नान करते हैं।हरिचांद मंदिर के संस्थापक आचार्य गोपाल महाराज का लगभग दो वर्ष पूर्व निधन हो गया था। उनके अनुयायियों के आग्रह पर गोपाल महाराज को मंदिर परिसर में समाधि में दी गई थी। उनकी मृत्यु के बाद मंदिर की कमान उनके शिष्य स्वामी विवेकानंद महाराज को मिली। गोपाल महाराज के निधन के बाद आज हुए महावारुणि स्नान महोत्सव की अगुवाई स्वामी विवेकानंद महाराज ने की। स्वामी जी ने सर्वप्रथम वैदिक मंत्रोच्चारण कर शाही स्नान किया। शाही स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने कामना सागर में स्नान किया।

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