बदली रणनीति, जामनगर का दल तीन टीमों बंटकर बाघ को तलाश रहा

हल्द्वानी : फतेहपुर का आदमखोर बाघ अब पहेली बन चुका है। कैमरा ट्रैप में वह पहले नजर आया था। लेकिन ट्रैंकुलाइज करने वाली टीमों को अब तक नहीं दिखा। ऐसे में जामनगर से आए तीस सदस्यीय दल ने भी अपनी रणनीति बदली है।रेंजर केएल आर्य ने बताया कि दल में शामिल तीन वन्यजीवों चिकित्सकों ने अब दस-दस लोगों की टीम तैयार कर ली। हर टीम में एक डाक्टर शामिल है। तीनों टीमें गुरुवार को जंगल में अलग-अलग जगहों में तलाश को निकली है। वहीं, हमलावर बाघ अब भी पकड़ में नहीं आ सका। इसलिए लोगों को जंगल में आने से रोकने के लिए अतिरिक्त वनकर्मी आबादी की सीमा क्षेत्र में तैनात किए गए हैं।फतेहपुर रेंज के जंगल में अब तक छह लोगों की वन्यजीवों के हमले में जान जा चुकी है। इसमें से पांच घटनाओं को बाघ ने अंजाम दिया। इसके बाद से बाघ को ट्रैंकुलाइज करने का अभियान चलाया गया। लेकिन सफलता नहीं मिली। दो दिन के लिए तीन शिकारी भी जंगल में पहुंचे थे। लेकिन एनटीसीए की गाइडलाइन की वजह से बुधवार को उन्हें लौटना पड़ा। वन विभाग को अब गुजरात के जामनगर से आई टीम से खासा उम्मीद है। उन्हें लगता है कि अनुभव के आधार पर यह टीम बाघ को जंगल में ट्रैंकुलाइज कर लेगी। लेकिन अभी तक कोई सुराग नहीं मिल सका।हल्द्वानी: धनपुरी में 48 घंटे के भीतर दोबारा गुलदार के नजर आने से लोगों में डर बरकरार है। सोमवार को गेहूं के खेत में छिपा गुलदार दस घंटे बाद रेस्क्यू हो सका था। वहीं, बुधवार रात गुलदार दोबारा लौट आया। एक बटाईदार की बेटी पर उसने हमला भी किया। गनीमत रही कि ज्यादा चोट नहीं आई।

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