पेसमेकर बना रहे नई पहचान अगली पीढ़ी के लीडलेस

देहरादून। हृदय की अनियमित धड़कनों के इलाज में लीडलैस पेसमेकर तकनीक क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। पारंपरिक पेसमेकर की तुलना में ये छोटे, बिना तारों वाले उपकरण हैं जिन्हें न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया से सीधे हृदय में प्रत्यारोपित किया जाता है।

मैक्स अस्पताल, देहरादून की निदेशक डॉ. प्रीति शर्मा ने बताया कि यह तकनीक न केवल संक्रमण और जटिलताओं को कम करती है, बल्कि मरीजों को तेजी से स्वस्थ होने में भी मदद करती है। लीडलेस पेसमेकर लगाने के लिए अब छाती में चीरा नहीं लगाना पड़ता, बल्कि कैथेटर के माध्यम से हृदय में प्रत्यारोपित किया जाता है। कार्डिएक रिदम मैनेजमेंट के क्षेत्र में अजय सिंह चौहान ने कहा कि यह तकनीक हर मरीज की जरूरत के अनुसार अनुकूलित समाधान प्रदान करती है और हृदय की धड़कनों को अधिक प्राकृतिक बनाए रखती है। यह नवाचार खासकर टियर 2 और टियर 3 शहरों में रहने वाले मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद है, जहां फॉलो-अप देखभाल सीमित होती है। जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ रही है, लीडलेस पेसमेकर स्मार्ट, सहज और जीवन की गति के साथ तालमेल बिठाने वाली हृदय देखभाल का नया मानक बन रहे हैं।

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