देहरादून I विरासत महोत्सव में सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में अरुण कुमार सिंह,अध्यक्ष एवं सीईओ, ओएनजीसी एवं मनीष पाटिल, निदेशक, मानव संसाधन, ओएनजीसी शामिल रहे।

विरासत महोत्सव में आज की शानदार संध्या की शुरुआत रेनू बाला के गढ़वाली गीत के साथ हुई जिस पर श्रोतागण मग्न मुग्ध हो गए I तत्पश्चात् रवाई के गीत की प्रस्तुति भी हुई I उत्तराखंड की जीवंत सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाते हुए अजय तिवारी के नेतृत्व में गढ़वाली लोक समूह “महानेत्रव संस्था” पहाड़ों की सच्ची भावना को दर्शाते हुए भावपूर्ण प्रस्तुति दी I यह समूह गढ़वाल की समृद्ध संगीत परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पित गायकों और संगीतकारों के एक प्रतिभाशाली समूह को एक साथ पिरोता है।
रेनू बाला जी उत्तराखंड की प्रसिद्ध गायिका। उन्होंने गाया, ”पहरो ठंडे पड़ी…” त्रिनेत्र समूह की अगली प्रस्तुति प्रसिद्ध गीत, ” तुआ बेलेना…” पर रमई नृत्य था, प्रदीप बसवाल जी ने पट शैली में गीत गाया, ”हरि हो…”
विरासत के शानदार मंच पर गायकों में रेनू बाला, प्रदीप असवाल और सुनील कोठियाल शामिल रहे, जिनकी मधुर आवाज़ उनके लोक प्रदर्शनों से हर सुर में मानों जान डाल रहे थे। उनके साथ संगीतकारों की एक कुशल टीम वीरेंद्र काला, आयुष सेमवाल, मोंटी मंधवाल, सचिन वर्मा, बृज पंवार, रवि बर्थवाल, साहिल नौडियाल तथा शैलेंद्र ने ढोलक, ऑक्टोपैड, खड़ी ढोलक, हुड़का और कीबोर्ड जैसे पारंपरिक और आधुनिक वाद्ययंत्रों पर दमदार प्रस्तुति देकर सभी का मन, हृदय जीत लिया। गढ़वाली लोकगीत जिनमें “खोली का गणेश”, “चोपाटी”, “थड़िया”, “चौंपला” और “चपेली” शामिल हैं, उनसे विरासत महोत्सव की महफ़िल में चार चांद लग गए I इस बेहतरीन व आकर्षक सांस्कृतिक संध्या की जीवंतता में प्रतिभाशाली महिला कलाकार गुसाईं, सोनम सिंह, स्नेहा उपाध्याय और देविका राणा के साथ-साथ पुरुष लोक कलाकारों में आशीष गुसाईं, जगदीश, पारू और करण शामिल रहे, जो भावपूर्ण नृत्य और गति के माध्यम से पहाड़ों की कहानियों, लय और परंपराओं को जीवंत करते नज़र आए।