विरासत में चला विश्व विख्यात संगीत के बादशाह उस्मान मीर का अद्भुत जादू

दुनिया भर के 25 देशों में अपने संगीत का जादू बिखेर चुके हैं मीर उस्मान

देहरादून I रविवार की संस्कृति संध्या की आखिरी प्रस्तुति उस्मान मीर के नाम रहा जिसमें उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरुआत “शिव समान कोई दाता नहीं…” भजन से की, जहां डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती है बसेरा, फिर उन्होंने देशभक्ति गाना वंदे मातरम गाया और इसके साथ उन्होंने लोगों के फरमाइश पर कई अन्य गाने भी गाए I इसके बाद उस्मान मीर के बेटे आमिर ने कुछ हिंदी फिल्मी गाने गाए, जिनका श्रोताओं ने भरपूर आनंद लिया।

उस्मान मीर  के संगत में उनके बेटे अमीर मीर,  बैंजो – नज़ीर, तबला – अब्दुल, तबला – अरुण, ऑक्टापैड – इरशाद, कीबोर्ड – चंदन, ओरकशन – यूसुफ, ध्वनि संचालक – पीयूष  मौजूद रहे।

दुनिया भर के 25 देशों में अपने संगीत का अद्भुत जादू बिखेर चुके उस्मान मीर ने विरासत की महफिल में अपने शानदार संगीत का जलवा इस तरह से बिखेरा कि सभी श्रोतागण मग्न मुग्ध हो कर झूमने को मजबूर हो गए I

विरासत महोत्सव में आज की बेहतरीन व ताजा तरीन संध्या में गुजरात कच्छ के मशहूर विश्व विख्यात सांस्कृतिक धरोहर कला के धनी उस्मान मीर का संगीत सुनकर श्रोतागण महफ़िल में जमे रहे I वे दुनिया भर के 25 देशों में अपनी शानदार प्रस्तुति देकर विश्व विख्यात हो चुके हैं I उनके पिता प्रसिद्ध तबला वादक थे और गुजराती लोकगीत, भजन और संतवाणी गायकों के साथ संगत करते थे। उस्मान मीर को बचपन से ही संगीत में रुचि थी और उन्होंने कम उम्र में ही अपने पिता से तबला सीखना शुरू कर दिया था I  हैरानी की बात यह है कि वे अपनी किशोरावस्था से ही अपने पिता के साथ लाइव कार्यक्रमों में प्रस्तुति देने लगे थे।

उन्होंने गुजरात के स्वर्गीय श्री नारायण स्वामी मंदिर में तबला वादक के रूप में अपना करियर शुरू किया। सुर संगीत को लेकर विश्व विख्यात हुए उस्मान मीर के लिए तबला वादन अभी शुरुआती दौर में ही था, क्योंकि उन्हें गायन में ज़्यादा रुचि थी और उन्होंने अपने पिता से सीखना शुरू किया I तत्पश्चात अपने गुरु इस्माइल दातार से उन्होंने प्रशिक्षण लिया। मुख्य बात यह भी है कि उन्होंने मोरारीबापू के आश्रम में तबला बजाना शुरू किया और एक गायक के रूप में उनकी शानदार संगीत की ल यात्रा शुरू हुई।

उस्मान मीर लगभग हर तरह का संगीत,भजन,ग़ज़ल, अर्ध-शास्त्रीय, सुगम, गुजराती-लोक संगीत प्रस्तुत करने में सक्षम हैं। उन्होंने लगभग 58 गुजराती फिल्मों में भी अपनी कला का अद्भुत प्रदर्शन करते हुए पार्श्वगायन किया है। उस्मान मीर कहते हैं कि उनकी गायकी नुसरत फ़तेह अली ख़ान, मेहंदी हसन, जगजीत सिंह और ग़ुलाम अली ख़ान से प्रभावित है। उस्मान मीर ने संजय लीला भंसाली की फ़िल्म “गोलियों की रासलीला” के लिए अपनी शैली और अपनी ऊँची आवाज़ में एक पुराना लोकगीत गाया, जिसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।

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