देहरादून । उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने कहा है कि कांग्रेस ने उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव जरूर हारा है, लेकिन पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं ने हिम्मत नहीं हारी है। धीरेंद्र प्रताप ने राज्य विधानसभा चुनाव के बाद आज पहली बार पार्टी की ओर से कांग्रेस की हार पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल द्वारा पार्टी की करारी हार के बावजूद इस्तीफा ना दिया जाना, इस दृष्टि से एक सही कदम है कि उन्होंने करीब 6 महीने पहले ही पार्टी के अध्यक्ष पद का दायित्व संभाला था और उन्हें उतना वक्त नहीं मिल पाया जितना कि एक अध्यक्ष को एक राज्य के संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने और उसको एक विजयी दल बनाने के लिए मिलना चाहिए था। धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि गणेश गोदियाल को किसी भी हालत में श्रीनगर से हराया नहीं जा सकता था, परंतु राज्य कांग्रेस की कमान उनके हाथ में होने की वजह से जिस तरह से उन्हें राज्य के दौरे करने पड़े और जिसकी वजह से वह अपने क्षेत्र की जनता का विश्वास हासिल करने में असफल हो गए। कांग्रेस अध्यक्ष के दायित्व की वजह से बार-बार वे अपने लोगों से मिल नहीं पाए और इसी का नतीजा है कि उन्हें श्रीनगर में चुनावी हार का सामना करना पड़ा।
उन्होंने गणेश गोदियाल को हरीश रावत, प्रीतम सिंह, यशपाल आर्य की परंपरा में पार्टी का एक योग्य और सफल अध्यक्ष बताया। जिन्होंने पार्टी की 11 सीटों को बढ़ाकर 19 सीटों तक ले जाने तक का सफर को अंजाम दिया। उन्होंने कहा कि यह बात और है पार्टी जब चुनाव हारती है तो राज्य पार्टी के अध्यक्ष इस्तीफा देते हैं और ऐसी परंपरा रही है, परंतु गोदियाल का फैसला उनके 6 महीने के कार्यकाल को देखते हुए सही फैसला दिखता है। यद्यपि उन्होंने कहा दिल्ली में चर्चा है कि कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी, कांग्रेस की उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी भी अपने पदों के दायित्व से पार्टी की करारी हार का जिम्मेदार होने की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी के सर्वोच्च पद से इस्तीफा देने पर विचार कर रही हैं। धीरेंद्र प्रताप ने कहा की पार्टी जल्द ही बैठक बुलाएगी, जिसमें पार्टी की हार के कारणों की बड़े पैमाने पर समीक्षा होगी। धीरेंद्र प्रताप ने कहा पार्टी को अपने वरिष्ठ नेताओं हरीश रावत, प्रीतम सिंह, गोविंद सिंह कुंजवाल, यशपाल आर्य जैसे वरिष्ठ नेताओं पर गर्व है और उन्होंने पार्टी की युवा पीढ़ी की ओर से अपने नेतृत्व मंडल को विश्वास दिलाया की इस हार की जिम्मेदारी वह अपने कंधों पर ना लें। हम मानते हैं कि हरीश रावत, प्रीतम सिंह, यशपाल आर्य, गणेश गोदियाल आदि लोगों ने रात दिन पार्टी के लिए परिश्रम किया। यह अलग बात है कि उसके उतने सार्थक नतीजे नहीं निकले।