नैनीताल : प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रीतू शर्मा की कोर्ट ने जेल में बंद देवेंद्र चम्याल तथा भगवती भोज को दोषमुक्त करार दिया है। उन पर चार साल पूर्व धारी तहसील परिसर में सरकारी वाहन जलाने व जगह-जगह प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) के पोस्टर लगाने का आरोप था। अब सरकार निचली अदालत के इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में है।अभियोजन के मुताबिक दो फरवरी 2017 को नैनीताल जिले के तहसील धारी के होमगार्ड गिरीश चंद्र ने राजस्व पुलिस को तहरीर दी थी। गिरीश के अनुसार पहली फरवरी को वह ड्यूटी पर तहसील आया। रात्रि 9:30 बजे खाना खाकर जब वह तहसील में आया तो अज्ञात लोगों ने तहसील परिसर में घुसकर उपजिलाधिकारी कार्यालय के गेट के नीचे लाल रंग से बड़े बड़े अक्षरों में भाकपा लिखा था। रात्रि 2:35 बजे तहसीलदार की पुरानी सरकारी जिप्सी में आग लगा दी गई थी। बाहर देखा तो कोई व्यक्ति दिखाई नहीं दिया। परिसर में हाथ से लिखे भाकपा माओवादी के पर्चे भी फेंके थे।अगले दिन पुरानी तहसील व ब्लाक कार्यालय तथा कुछ अन्य जगहों पर भी भाकपा माओवादी के पोस्टर लगे मिले। दो फरवरी को राजस्व पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ लोक सम्पत्ति विरूपण अधिनियम की धारा 10/20, विधि विरुद्ध क्रियाकलाप अधिनियम, तथा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के अन्तर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई। 23 सितंबर 2017 को थानाध्यक्ष चोरगलिया संजय जोशी ने देवेंद्र चम्याल पुत्र मदन चमियाल निवासी ग्राम दसाऊ पट्टी डाकाकोट पेटशाल, नगरखान अल्मोड़ा और भगवती भोज उर्फ भावना भोज पुत्री शिव सिंह निवासी काकड़ी सोमेश्वर अल्मोड़ा को गिरफ्तार किया गया।कोर्ट में विचारण के दौरान मामले की चार पुलिस अधिकारियों ने विवेचना की लेकिन यह साबित नहीं कर सके कि पोस्टर पंफलेट किसने चिपकाए। स्वतंत्र साक्षी भी यह साबित करने में नाकाम रहा कि पकड़ा गया व्यक्ति देवेंद्र चम्याल है। नौ मार्च को अदालत ने अभियोजन व बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद दोनों आरोपितों को रिहा करने के आदेश दिए हैं। बचाव पक्ष की ओर से पैरवी चंद्रशेखर करगेती ने की।