9 अप्रैल को मनाई जाएगी अष्टमी : डॉक्टर आचार्य सुशांत राज

देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की नवरात्रि में अष्टमी तिथि का अधिक महत्व होता है। इस बार नवरात्र पूरे 9 दिनों के पड़ रहे हैं जिसके कारण इस बार अष्टमी 9 अप्रैल को मनाई जाएगी। कुछ लोग अष्टमी तिथि को ही कन्या पूजन करने के साथ व्रत का पारण कर देते हैं। लेकिन कई लोग नवमी तिथि को कन्या पूजन के साथ हवन आदि करते है। जानिए दुर्गाष्टमी का मुहूर्त और महत्व। नवरात्रि के आठवें दिन को अष्टमी तिथि कहा जाता है। इस दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा अर्चना करने का विधान है। इस बार अष्टमी तिथि 9 अप्रैल को पड़ रही है। इस दिन कन्या पूजन के साथ हवन करके व्रत का पारण कर सकते हैं।

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि अष्टमी के दिन मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करने से सुख-समृद्धि, यश-कीर्ति आदि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही मां दुर्गा व्यक्ति के हर कष्ट को हर कर खुशहाली का आशीर्वाद देती हैं।

चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा करने का विधान है। महागौरी को सौम्य देवी के रूप में पूजा जाता है। महागौरी का वाहन वृषभ है। इसके साथ ही देवी मां की चार भुजाएं है। मां के एक हाथ में त्रिशूल, एक में डमरू, तीसरे में अक्षय मुद्रा और चौथे में वर मुद्रा में हैं।

अष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त

शुक्ल पक्ष अष्टमी – 8 अप्रैल रात 11 बजकर 05 मिनट से शुरू होकर 10 अप्रैल सुबह 01 बजकर 24 मिनट तक।

अतिगण्ड योग – 8 अप्रैल को सुबह 10 बजकर 30 मिनट से 9 अप्रैल सुबह 11 बजकर 24 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त – 9 अप्रैल दोपहर 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक

अमृत काल – 9 अप्रैल सुबह 01 बजकर 50 मिनट से 03 बजकर 37 मिनट तक

ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 39 मिनट से 05 बजकर 27 मिनट तक

कन्या पूजन मुहूर्त अष्टमी तिथि- चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि को दिन का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक है। इस समय कन्या पूजन किया जा सकता है।

चैत्र नवरात्रि अष्टमी महत्व- शास्त्रों के अनुसार, अष्टमी तिथि के दिन मां दुर्गा की विधि-विधान के साथ पूजा करने से सुख-शांति व समृद्धि की प्राप्ति होती है। मां दुर्गा की कृपा से भक्तों को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।

डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की इस वर्ष 2 अप्रैल 2022 को चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ हुआ था। ऐसे में चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 9 अप्रैल को और नवमी तिथि 10 अप्रैल को मनाई जाएगी। नवरात्रि की अष्टमी नवमी तिथि को जो भक्त शुभ मुहूर्त में पूजा और हवन करता है उस पर मां दुर्गा की कृपा सदा बनी रहती है। नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि को बहुत खास माना गया है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां दुर्गा के महागौरी और नवमी तिथि को सिद्धिदात्री स्वरूप की पूजा की जाती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन दोनों तिथियों पर सही विधि विधान और सच्चे मन से पूजा करने से मां दुर्गा का खास आशीर्वाद प्राप्त होता है।

नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि दोनों दिन आपको सूर्योदय से पहले उठना है और फिर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ कपड़े धारण करें। इसके बाद शुभ मुहूर्त में पूजा संपन्न करें। मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए संधि काल में 108 दीपक जलाना शुभ माना जाता है। साथ ही याद रखें कि अष्टमी और नवमी तिथि को हवन के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।

दुर्गा सप्तशती का पाठ करने और कन्याओं को भोजन कराकर उपहार देने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। नवरात्रि की अष्टमी तिथि को घर में तुलसी के पौधे के पास 9 दीपक जलाकर उसकी परिक्रमा करें। इससे आपके घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।

कन्या पूजन में इन बातों का रखें ध्यान-

2 से 11 वर्ष की कन्याओं को पुष्प वर्षा के साथ अपने घर में प्रवेश कराएं। इसके बाद उन्हें आरामदायक और साफ स्थान जगह पर बिठाकर सभी कन्याओं के पैर धोएं। इसके बाद उनके पैरों पर हल्दी, कुमकुम और चावल चढ़ाएं। तत्पश्चात सभी कन्याओं की तिलक लगाकर उन्हें भोजन कराएं। भोजन के बाद कन्याओं को अपनी सामर्थ्य के अनुसार उपहार अथवा दक्षिणा दें। ध्यान रखें की कन्याओं को विदा करने से पहले सभी कन्याओं से पैर छूकर आशीर्वाद अवश्य लें। इससे मां भगवती आपको मनवांछित फल देती हैं।

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