देहरादून। प्रदेश के पर्यटन, लोक निर्माण, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण, सिंचाई, जलागम, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने फार्च्यून टॉकीज मोशन पिक्चर के बैनर तले बनी। उत्तराखंडी फीचर फिल्म “माटी पहचान” ट्रेलर लॉन्च करते हुए कहा कि उत्तराखंड में क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों के विकास की बहुत संभावनाएं हैं। सरकार ऐसी फिल्मों के निर्माताओं को हर संभव मदद करेगी। सतपाल महाराज ने फ़राज़ शेर के “फार्च्यून टॉकीज मोशन पिक्चर” के बैनर तले बनी उत्तराखंडी फीचर फिल्म “माटी पहचान” का ग्राफिक ऐरा हिल यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम में ट्रेलर लॉन्च किया। यह फिल्म 23 सितम्बर 2022 को प्रदेश के हर सिनेमा हाल में रिलीज़ होने जा रही है।
फॉर्च्यून टॉकीज मोशन पिक्चर्स बहुप्रतीक्षित उत्तराखंडी फीचर फिल्म “माटी पहचान” के “ट्रेलर लॉन्च” के अवसर पर कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि फिल्म फराज़ शेरे द्वारा अपने बैनर फॉर्च्यून टॉकीज मोशन पिक्चर्स के तहत निर्मित और अजय बेरी द्वारा निर्देशित फिल्म “माटी पहचान” वर्षों से पहाडों से हो रहे पलायन की त्रासदी पर आधारित है। पहली बॉलीवुड शैली की उत्तराखंडी फिल्म स्थानीय प्रतिभाओं और युवाओं को अपनी जड़ों से जुड़े रहने की प्रेरणा देती है।
उन्होने कहा कि “माटी पहचान” फिल्म उत्तराखंड के एक छोटे से गांव में पहचान, समुदाय, भाषा और प्रेम के जटिल मुद्दों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करती है। यह फिल्म पहाड़ों की कहानी कहने के साथ-साथ अपने नौनिहालों को घर वापसी का भी संदेश देती है। निश्चित रूप से उत्तराखंड में क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों के विकास की बहुत संभावनाएं हैं और “माटी पहचान” फिल्म इस शुरुआत की तरफ बढ़ाया गया एक अच्छा कदम कहा जा है। उन्होने आशा व्यक्त की कि फिल्म के निर्माता, निर्देशक आगे भी इस प्रकार की प्रेरणादायक फिल्में राज्य के दर्शकों तक पहुंचने का क्रम जारी रखेंगे।
“माटी पहचान” फिल्म का निर्देशन अजय बेरी ने किया है। इस फिल्म में नवोदित कलाकार करण गोस्वामी सहित अंकिता परिहार, चंद्र बिष्ट, वान्या जोशी, आकाश नेगी, पद्मेंद्र रावत, प्रकाश जोशी, रेखा पाटनी और नरेश बिष्ट जैसे उत्तराखंड के कुशल थिएटर और फिल्म अभिनेताओं ने अभिनय किया है। फिल्म की कहानी मनमोहन चौधरी ने लिखी है और इस फिल्म के म्यूजिक डायरेक्टर राजन बजेली हैं। फिल्म की शूटिंग, सिनेमैटोग्राफर फारूक ने की है, फिल्म का संपादन मुकेश झा ने किया है और प्रज्ञा तिवारी फिल्म की कार्यकारी निर्माता हैं। फ़राज़ शेरे ने फिल्म के लिए क्रिएटिव प्रोड्यूसर के रूप में भी काम किया हैं। इस फिल्म की शूटिंग उत्तराखंड के कोटाबाग, भीमताल और नौकुचिया ताल में हुई है।