देहरादून। कृषि वानिकी भूमि प्रबंधन एवं किसानों की आय वर्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कृषिवानिकी पद्धतियों में वैज्ञानिक तकनीक का प्रयोग करके फसलों तथा वृक्षों का संगम करके उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।
इसी के ध्यान में रखते हुए विस्तार प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून ने वन विज्ञान केन्द्र व कृषि विज्ञान केन्द्र के नेटवर्किंग के तहत कृषि विज्ञान केन्द्र धनौरी में ‘‘भूमि प्रबंधन हेतु कृषि वानिकी’’ विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया।
डा0 चरण सिंह वरिष्ठ वैज्ञानिक सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा ऋचा मिश्रा, भा.व.से. प्रमुख, विस्तार प्रभाग, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून से किसानों को सम्बोधित करने और उद्घाटन करने का अनुरोध किया। अपने संबोधन में उन्होंने कृषि भूमि पर कृषि फसलों के साथ वृक्षों के एकीकरण के माध्यम से आय वृद्धि कि लिए कृषिवानिकी के महत्व और आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होने कृषि वानिकी के विविधीकरण के बारे में भी बात की और बताया कि कैसे वे एक साथ मिलकर प्रजातियों की उत्पादकता में सुधार कर सकते हैं, जिससे बेहतर कृषि वानिकी उत्पादन और आर्थिक लाभ हो सकता है। उन्होंने प्रशिक्षण का अवलोकन भी किया और प्रतिभागियों से प्रशिक्षण का अधिक से अधिक उपयोग करने का आग्रह किया।
विज्ञान की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यदि वैज्ञानिक तकनीकियों का समावेश करके कृषि वानिकी की जाए तो इससे निश्चित ही किसानों की आय बढ़ेगी और इस दिशा में यह प्रशिक्षण काफी लाभदायक सिद्ध होगा। कृषि विज्ञान केन्द्र, धनौरी के अधिकारी प्रभारी डा0 पुरुषोत्तम सिंह ने भी पेड़ों और कृषि फसलों की भूमिका के बारे में अपने विचार व्यक्त किए।
प्रशिक्षण में आए विषय विशेषज्ञों डा0 चरण सिंह, डा0 देवेन्द्र कुमार, रामबीर सिंह, डा0 विनोद कुमार, डा0 योगेन्द्र पाल, डा0 विपिन प्रकाश, डा0 दीप्ती चौधरी एवं मोहित हसन ने भी कृषि वानिकी पर किसानों को तकनीकी जानकारी प्रदान की तथा अपने विचार किसानों के साथ साझा किए। प्रशिक्षण में 42 किसानों ने भाग लिया।
प्रबंधन टीम में शामिल डा0 चरण सिंह, डा0 देवेन्द्र कुमार, रामबीर सिंह, प्रीतपाल सिंह एवं नवीन चौहान आदि ने प्रशिक्षण कार्यक्रम सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।