देहरादून। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद द्वारा 1 से 7 मार्च तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के प्रतिदिन के सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने योग साधकों का मनोरंजन करने के साथ उनका मन मोहा।
सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में योग प्रेमियों में खासा उत्साह देखा गया। योग, ध्यान सत्रों के अतिरिक्त सायंकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में नृत्य, संगीत, नाट्य आदि दर्शकों के लिए मुख्य आकर्षण रहे।
योग महोत्सव के उद्घाटन दिन के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत प्रसिद्ध रेत कलाकार नीतीश भारत की प्रस्तुति के साथ हुई जिनमें उन्होंने गंगा की धरती पर उत्पत्ति की गाथा रेत कला के माध्यम से दर्शा कर दर्शकों के साथ राजनीतिक हस्तियों को आश्चर्यचकित किया। कार्यक्रम के तुरंत बाद गंगा तट पर एक भव्य ड्रोन शो का आयोजन किया गया जिसमें कई सारे ड्रोनों द्वारा एक साथ संरेखित होकर योग की अलग अलग मुद्रा , उत्तराखंड की धनी सांस्कृतिक विरासत, देवभूमि के धार्मिक स्थलों, चार धामों आदि की व्याख्यानों के साथ प्रस्तुतियों ने दर्शकों को न केवल रोमांचित किया बल्कि गर्व करने पर भी मजबूर किया।
योग महोत्सव के दूसरे दिन के कार्यक्रम में पंजाबी गटका नृत्य और सीता स्वयंवर की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को आकर्षित किया । जहाँ पंजाबी गटका नृत्य में नृत्य के साथ मार्शल आर्ट का समावेश था वहीं सीता स्वयंवर की संगीतमय गाथा ने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया।
तीसरे दिन सगुन निर्गुण भक्ति भजन के साथ कलाकारों ने संगीतमय राधाकृष्ण महारास की प्रस्तुतियाँ दीं। महारास समूह के कलाकारों ने मंत्रमुग्ध कर देने वाली संगीतमय राधा कृष्ण महारास नृत्य पेश कर सबका मन मोहा।
आगे दिनों के कार्यक्रमों में विभिन्न प्रकार के म्यूजिक बैंड की धूम रही जिनमें “द पांडवाज़”, मैहर बैंड और हिमाचली लोक बैंड की संगीत प्रस्तुतियों ने युवाओं को खासा आकर्षित किया। भारतीय संगीत और रॉक संगीत की फ्यूजन के साथ द पांडवाज़ के कलाकारों ने उत्तराखंड की लोक गीत फुलारी, टाइम मशीन सीरीज और उत्तराखंड मेरी मातृभूमि पर जब अपनी प्रस्तुति दी तो वहाँ उपस्थित दर्शक रोमांचित हो गये और उत्साह के साथ झूमने लगे।
अंतिम दिन के कार्यक्रम में बरसाना की लठमार और अवधि शैली की होली के साथ फ्यूज़न होली के आयोजन के साथ योग महोत्सव का समापन हुआ।
सूरत से योग महोत्सव में आई एक दर्शक को राधा कृष्ण महारास की प्रस्तुति ने बहुत प्रभावित किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने आज तक ऐसी नृत्य प्रस्तुति कभी भी नहीं देखी। कलाकारों द्वारा सधी हुई प्रस्तुति एवं उनके चेहरों के भाव इतने सजीव दिखे कि उन्हें साक्षात कृष्ण युग के दर्शन हो गये। उन्होंने इस बेहतरीन व्यवस्था के पर्यटन विभाग को धन्यवाद दिया।