देहरादून डेस्क। राष्ट्रीय जागरूकता अभियान के समुदाय आधारित आपदा जोखिम प्रबन्धन (सीबीडीआरएम) कार्यक्रम के तहत सीड्स, यूएस एड, एवं जीएनडीआर की संयुक्त पहल से आपदा प्रबन्धन विषय में मीडिया के रोल विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में आपदा के खतरों से जागरूकता एवं आपदा के बाद होने वाले सहायता कार्यों में मीडिया की भूमिका पर सीड्स के विषय विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। कार्यशाला में समुदाय आधारित आपदा प्रबन्धन की निरंतरता पर जोर दिया गया।
कार्यशाला के दौरान सस्टेनेबल इनवायरमेंट एंड इकोलाॅजिकल डवलेपमेंट सोसाइटी (सीड्स) के प्लानिंग एवं मोबिलाइजेशन डाॅयरेक्टर ने पराग तलनकर ने अपने संबोधन में कहा कि आपदा के परिपेक्ष में अतीत और वर्तमान के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो जानमाल के नुकसान में कमी आई है, जिसकी सबसे बड़ी वजह जागरूकता एवं सक्रियता कही जा सकती है। उन्होंने मुम्बई, केरला में आये साइक्लोन का हवाला देते हुए कहा कि जागरूकता एवं त्वरित कार्यवाही के चलते इन जगहों पर जानमाल के नुकसान को कम किया जा सका। उन्होंने बताया कि सीड्स ने आॅनलाइन क्षेत्रीय एडवोकेसी एवं परामर्श का आयोजन कर सरकार, सिविल सोसाइटी के साथ मिलकर इस कार्य को आगे बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है जिसमें मीडिया का सहयोग बेहद अहम है।
सीड्स की प्रोजेक्ट असिस्टेंट शैली शाह ने बताया कि पिछले 27 साल से सीड्स आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास आदि विषयों पर जागरूकता के प्रचारप्रसार में सरकार एवं स्थानीय प्रशासन के साथ सहयोग कर रहा है। सीड्स को भारत सरकार की ओर से ‘सुभाष चन्द्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार-2021’ से भी नवाजा गया है। जिला आपदा प्रबंधन के साथ उत्तराखंड के देहरादून एवं हरिद्वार जनपदों के स्कूलों में छात्रों को आपदा प्रबंधन के प्रति जागरूक करने के साथ ही स्कूलों की भवन निर्माण संरचना के बारे में भी सीड्स की टीम कार्यरत है। उन्होंने आपदा के जोखिम को कम करने में मीडिया से जागरूकता अभियान का हिस्सा बनने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट एंड रिस्क रिडेक्शन विषय पर लोगों को जागरूक करने की मुहिम में उत्तराखंड में अभिव्यक्ति सोसाइटी उनकी पार्टनर के तौर पर कार्य कर रही है।
कार्यशाला में अभिव्यक्ति सोसाइटी की गीतांजलि ढौंढियाल ने कहा कि आपदा प्र्रबंधन के खतरों को कम करने की इस मुहिम में आमजन को जागरूक करने के लिए मीडिया एक सशक्त माध्यम है।