पर्यावरण को लेकर आज पूरी दुनिया चिंतित है और इसके संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास हो रहे हैं। भारत समेत दुनिया के सभी बड़े राष्ट्र आगामी पीढ़ी को एक संतुलित, स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण सौंपने के प्रयासों में जुटे हैं। पर्यावरण के क्षरण ने जलावायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की चिंता पैदा की है। इससे न केवल संपूर्ण मानव जाति बल्कि तमाम जीव जंतुओं और वनस्पति के अस्तित्व पर संकट के बादल गहरा गए हैं। पूरी दुनिया पर्यावरण के संरक्षण में जुटी है और भारत भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इसमें अतुलनीय योगदान कर रहा है। वैश्विक स्तर पर घट रही प्राकृतिक आपदाएं स्पष्ट संकेत दे रही हैं कि पर्यावरण की स्वच्छता को बनाये रखने के लिए अविलंब ठोस कदम उठाने होंगे।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए पर्यावण को संरक्षण मेरी प्राथमिकताओं में शीर्ष पर रहा। इसके लिए हमने अपने राज्य में कई कार्यक्रम भी किये जिनमें हिमालय दिवस और हरेला जैसे पर्वों पर किये गये कार्यक्रम भी शामिल हैं। पर्यावरण संरक्षण का दायित्व हम सभी का है।
इसके संरक्षण के लिए यहां की संस्कृति, नदियों व वनों का संरक्षण जरूरी है। हमने बड़े पैमाने पर प्रदेश में वृक्षारोपण के लिए कार्यक्रम किए और चार साल के कार्यकाल में इसे जन आंदोलन का रूप देते हुए समाज के सभी वर्ग, संगठन, पर्यावरणविद्द, बच्चे, बुजुर्ग, युवा, महिलाएं, छात्र, किसान व कामगारों के साथ मिलकर देवभूमि को ईको फ्रैंडली स्टेट बनाने के लिए हर साल एक करोड़ से अधिक पौधे लगाए। पॉलिथीन के प्रयोग के साथ सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग को भी हमनें सख्ती से रोका और उत्तराखंड में प्लास्टिक और थर्मोकोल के उपयोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण स्थित विधानभवन को ई-विधानसभा बनाने के संकल्प के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए ई-कैबिनेट शुरू की गई।
पर्यावरण संरक्षण की तरफ ठोस कदम उठाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सदैव प्रेरित किया है। उन्होंने स्वयं पूरी दुनिया को पर्यावरण क्षरण से होने वाले नुकसान से कई बार सचेत किया है और उनकी पहल पर वैश्विक स्तर पर देशों को एकजुट होने में सफलता भी मिली है। इसके लिए उन्हें संयुक्त राष्ट्र का सर्वोच्च पर्यावरण पुरस्कार चैंपियंस ऑफ द अर्थ अवॉर्ड, दक्षिण कोरिया के सियोल शांति पुरस्कार, अमेरिका के फिलिप कोटलर प्रेजिडेंशियल, बहरीन का तीसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान से द किंग हमाद ऑर्डर ऑफ द रेनेसां तथा सेरावीक वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण नेतृत्व पुरस्कार जैसे कई अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा जा चुका है। प्रधानमंत्री का लक्ष्य आगामी पीढ़ी को एक बेहतर धरती प्रदान करना है जहां उन वनस्पतियों और जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित हो जिनसे ये धरती फल-फूल रही है।
पर्यावरण संरक्षण के लिए हमने पहाड़ों की रानी मसूरी में सभी हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ हिमालयन कांक्लेव का आयोजन कर के मसूरी संकल्प पारित किया था। इसमें उन सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों व प्रतिनिधियों ने हिमालय के पर्यावरण के संरक्षण का संकल्प लिया था। अगर हम प्राकृतिक संसाधनों के दोहन की परवाह नहीं करेंगे तो प्रकृति भी इस नुकसान की भरपाई भी दंड स्वरूप हमसे से ही करेगी। हम लोग प्रकृति के बेहद नजदीक हैं। प्राकृतिक आपदाएं जैसे बाढ़ आना, अकाल पड़ना, अधिक वर्षा, भूस्खलन होना, भूकंप इसके कई उदाहरण देखे जा सकते हैं | हमारे पूर्वजों ने वृक्षों को बचाने के लिए अनवरत प्रयास किये और हमारी पीढ़ी को स्वस्थ सुरक्षित पर्यावरण प्रदान करने मे सहयोग किया।
आज पर्यावरण दिवस है। आइए हम संकल्प लें कि हम आने वाले हर दिन को पर्यावरण दिवस के रूप में स्वीकार करेंगे और अपने आसपास के पर्यावरण को सुरक्षित रखने की दिशा में काम करेंगे। यही संकल्प आने वाली पीढ़ीयों को हमारी तरफ से सबसे अच्छा उपहार होगा। जल, वायु, वनस्पति, जीव-जंतु और पूरी धरती को सुरक्षित रखना ही पर्यावरण को स्वच्छ बनाये रखने की दिशा में अहम कदम होगा। हमारे यही प्रयास पृथ्वी को भी सुरक्षित बनाये रखने में अहम भूमिका अदा करेंगे।
(लेखक उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत)