कोरोना की दूसरी लहर के चलते पिछले करीब दो महीने से प्रदेश में स्वास्थ्य की दृष्टि बंद हुई पर्यटन गतिविधियों के फिर से पटरी पर लौटने की उम्मीद अब बढ़ रही है। चरणबद्ध तरीके से अनलॉक प्रक्रिया की ओर बढ़ रही उत्तराखंड सरकार कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए प्रदेश के पर्यटन स्थलों को पर्यटकों के लिए खोलने की शुरुआत कर दी है। इससे पर्यटन से जुड़े कारोबारियों में उत्साह है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इन स्थानों का भ्रमण करने के लिए सैलानियों को कोरोना की 72 घंटे पहले आरटीपीसीआर टेस्ट की नेगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य होगी। एक जुलाई से चमोली जिले में समुद्रतल से 12995 फीट की ऊंचाई पर स्थित विश्व धरोहर फूलों की घाटी को पर्यटन के लिए खोल दिया गया। जबकि इससे दो दिन पहले ही नैनीताल जिले में स्थित भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान जिम कॉर्बेट पार्क को भी पर्यटकों के लिए खोलने के साथ प्रदेशभर के तमाम संरक्षित क्षेत्रों, राष्ट्रीय पार्क, वन्य जीव विहार, जू टाइगर रिजर्व में पर्यटन गतिविधियों को खोल दिया गया है।
उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद सभी पर्यटकों की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए कृतसंकल्प है। कोरोना के तेजी से सामान्य होते हालात के बीच राष्ट्रीय पार्कों/वन्यजीव विहारों/संरक्षण आरक्षिति/जू एवं टाइगर रिजर्व आदि स्थलों को पर्यटकों के लिए फिर से खोला गया है। हिमालय की तलहटी में स्थित कॉर्बेट राष्ट्रीय पार्क 521 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र तक दो जिलों में फैला हुआ है, पार्क का एक प्रमुख हिस्सा 312.86 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पौड़ी गढ़वाल जिले में और शेष 208.14 वर्ग किलोमीटर नैनीताल जिले में आता है। जिम कॉर्बेट नैशनल पार्क वाइल्ड लाइफ लवर्स के साथ ही नेचर लवर्स के लिए भी एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है। जहां आप रोमांच के साथ-साथ जोश और उत्साह का भी अलग अनुभव कर सकते हैं। जंगल सफारी का आंनद लेने के साथ वन्य जीवों का दीदार करने के लिए हर साल देश-दुनिया से लाखों पर्यटक यहां आते हैं। देश के 9 टाइगर रिजर्व्स में से एक टाइगर रिजर्व जिम कॉर्बेट में है। जानवरों की बात करें तो जिम कॉर्बेट में टाइगर के अलावा हाथी, चीतल, सांभर, नीलगाय, घड़ियाल, किंग कोबरा, जंगली सूअर, कांटेदार जंगली चूहा, उड़ने वाली लोमड़ी और भारतीय गिरगिट जैसे कई जानवर और जीव-जंतू पाए जाते हैं। इसके अलावा पक्षियों की भी 600 से ऊपर प्रजातियां जिम कॉर्बेट में मौजूद हैं।
अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विश्व विख्यात फूलों की घाटी में भी अब सैलानी सैर कर पाएंगे। पर्यटक न केवल प्रकृति की अनमोल धरोहर बल्कि दुर्लभतम प्रजाति के वन्य जीवों का भी दीदार कर सकेंगे। वर्तमान में घाटी में 50 से अधिक प्रजाति के फूल खिले हैं। फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है और नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व के दो मुख्य क्षेत्रों में से एक है। चमोली जिले में 87 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान ऑर्किड, पॉपपी, प्रिमुला, गेंदा, डेजी और एनीमोन जैसे विदेशी फूलों का एक अलौकिक दृश्य प्रस्तुत करता है।
माना जाता है कि रामायण काल में हनुमान संजीवनी बूटी की खोज में इसी घाटी में पधारे थे। फूलों की घाटी में भ्रमण के लिये जुलाई, अगस्त व सितंबर के महीनों को सर्वोत्तम माना जाता है। घाटी बहुत शानदार रूप से पर्वत श्रृंखलाओं और रमणीक ग्लेशियरों से घिरी हुई है और यह क्षेत्र औषधियों, वनस्पतियों और जीव जन्तुओं के कारण आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। इन्सानों से दूर यह स्वर्ग की भूमि शीतकाल में पूरी तरह बर्फ से ढकी रहती है और ग्रीष्मकाल के आगमन पर पूरी घाटी सुन्दर व मनमोहक लैंडस्केप में तब्दील हो जाती है। जब बरसात का मौसम शुरू होता है, तो घाटी फूलों से भरा चित्र बन जाती है और पूरी जगह एक रंगीन पैलेट की तरह चमकती है। यह दिव्य स्थान कुछ दुर्लभ और लुप्तप्राय जीवों का घर भी है। फूलों की घाटी की यात्रा 16 किलोमीटर की एक जिग-जैग ट्रेल है, इस यात्रा के दौरान पर्यटक प्रकृति की सुन्दरता को देखते हुए आगे बढ़ता है जिससे उसे अपनी यात्रा कठिन नहीं लगती। हिमालय की गोद में बसी यह घाटी अपनी सुन्दर छठा के कारण पर्यटकों की यात्रा को और अधिक सुंदर और रोमांटिक बना देता है।
उत्तराखंड तुलनात्मक रूप से दूरस्थ क्षेत्र में स्थित होने के बावजूद, फूलों की घाटी यात्रियों के लिए सबसे सुलभ स्थलों में से एक है। यहां यात्रा करने वाले पर्यटकों के विश्राम के लिए मार्गों में उचित मूल्यों पर होटल व होमस्टे की सुविधा उपलब्ध है। इतना ही नहीं उत्तराखंड में काम करने के साथ छुट्टियों का आनंद लेने वाले पर्यटकों के लिए वर्ककेशन की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है।