देहरादून। माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि हिंदू परंपरा में विशेष महत्व रखती है। इस साल बसंत पंचमी कल यानी पांच फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती का पूजन किया जाता है। बच्चों का विद्यारंभ संस्कार भी इसी दिन किया जाता है। इस दिन स्वयंसिद्ध मुहूर्त होता है इसलिए बिना मुहूर्त के विवाह संपन्न किए जाते हैं। इस बार बसंत पंचमी तीन विशेष योगों की त्रिवेणी में मनाई जाएगी। बसंत पंचमी के दिन सिद्ध, साध्य और रवियोग का संगम होगा।
ज्योतिषाचार्य डॉ. आचार्य सुशांत राज ने बताया कि बसंत पंचमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। इस दिन से भारत में वसंत ऋतु का शुभारंभ होता है। इस दिन सरस्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। बसंत पंचमी की पूजा सूर्योदय के बाद और दिन के मध्य भाग से पहले की जाती है। इस समय को पूर्वाह्न भी कहा जाता है।
यदि पंचमी तिथि दिन के मध्य के बाद शुरू हो रही है तो ऐसी स्थिति में वसंत पंचमी की पूजा अगले दिन की जाएगी। हालांकि यह पूजा अगले दिन उसी स्थिति में होगी जब तिथि का प्रारंभ पहले दिन के मध्य से पहले नहीं हो रहा हो। यानी पंचमी तिथि पूर्वाह्नव्यापिनी न हो।
ज्योतिषाचार्य पंडित विष्णु प्रसाद भट्ट ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन देवी रति और भगवान कामदेव की षोडशोपचार पूजा करने का भी विधान है। मुहूर्त के अनुसार इस दिन साहित्य, शिक्षा, कला इत्यादि के क्षेत्र से जुड़े लोग विद्या की देवी सरस्वती की पूजा-आराधना करते हैं। इस दिन शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ घरों में भी उनकी पूजा की जाती है। बसंत पंचमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह सात बजे से दोपहर साढ़े बारह बजे तक रहेगा।