भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने भारत–यूके मुक्त व्यापार समझौते (FTA) का स्वागत करते हुए इसे बदलते द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों में एक परिवर्तनकारी उपलब्धि बताया

भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के भारतीय उद्योग प्रतिनिधिमंडल ने माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ऐतिहासिक यूके यात्रा में भाग लिया।

नई दिल्ली। भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यूनाइटेड किंगडम की एक ऐतिहासिक यात्रा की, जिसका समापन आज भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर के साथ हुआ।

माननीय प्रधानमंत्री के साथ गए प्रतिनिधिमंडल में भारतीय उद्योग जगत के 16 प्रमुख नेताओं ने भाग लिया, जिनका नेतृत्व भारती एंटरप्राइजेज के संस्थापक एवं अध्यक्ष तथा इंडिया–यूके सीईओ फोरम के सह-अध्यक्ष श्री सुनील भारती मित्तल ने किया। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) द्वारा आयोजित इस व्यापार प्रतिनिधिमंडल की उपस्थिति ने भारत–यूके आर्थिक साझेदारी को आगे बढ़ाने में सरकार और उद्योग जगत के बीच मजबूत सहयोग को उजागर किया।

इस अवसर पर सुनील भारती मित्तल ने कहा, “भारतीय उद्योग जगत के सभी सेक्टर भारत–यूके मुक्त व्यापार समझौते (FTA) का पूरे उत्साह के साथ स्वागत करते हैं। यह समझौता आधुनिक और दूरदृष्टि से युक्त साझेदारी को स्थापित करता है, जो नवाचार को प्रोत्साहित करेगा, बाज़ार तक पहुँच को सरल बनाएगा और निवेश को बढ़ावा देगा। भारत और यूके दोनों देशों के व्यवसायों को इससे भारी लाभ होगा, क्योंकि यह प्रमुख उद्योगों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की ठोस नींव रखता है।”

भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) द्वारा गठित भारतीय उद्योग प्रतिनिधिमंडल ने ब्रिटिश सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, नीतिनिर्माताओं और चुनिंदा यूके सीईओ के साथ संवाद किया। चर्चा में विशेष रूप से जिन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया, उनमें कौशल विकास और गतिशीलता, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और उन्नत प्रौद्योगिकी, सतत-विकास (संधारणीयता) एवं जलवायु कार्रवाई, तथा फार्मास्युटिकल और स्वास्थ्य सेवा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल थे।

पिछले पाँच वर्षों में भारत ने यूके के साथ सकारात्मक व्यापार संतुलन बनाए रखा है, और यूके भारत का एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार बना हुआ है। दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 120 बिलियन डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। वर्तमान में 970 से अधिक भारतीय कंपनियाँ यूके में कार्यरत हैं, जो लगभग 1.17 बिलियन पाउंड का कॉर्पोरेशन टैक्स अदा करती हैं और लगभग 1.1 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान करती हैं जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं और आजीविकाओं को मज़बूती मिलती है।

भारत–यूके मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के लागू होने के बाद इससे व्यापारिक बाधाओं में कमी आने, निवेशकों का विश्वास बढ़ाने, और संयुक्त उद्यमों व प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को प्रोत्साहित किए जाने की उम्मीद है, विशेषकर श्रम प्रधान क्षेत्रों में जैसे कि वस्त्र एवं परिधान, चमड़ा एवं चमड़े के सामान, रत्न एवं आभूषण, समुद्री उत्पाद और अन्य क्षेत्रों में। यह समझौता स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल तकनीकों, जीवन विज्ञान और उन्नत विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में नए अवसरों के द्वार खोलने के लिए मजबूत ढांचा प्रदान करेगा। भारत का तीव्र गति से बढ़ता बाज़ार और उसकी विनिर्माण क्षमताएं, यूके की नवाचार, वित्तीय सेवाओं और उच्च गुणवत्ता वाली सेवाओं की विशेषज्ञता के साथ मिलकर द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को और गति देंगे।

इस समझौते (एफटीए) का एक और मुख्य लाभ पारस्परिक सामाजिक सुरक्षा समझौता है, जिसके तहत यूके में कार्यरत भारतीय पेशेवर अगले तीन वर्षों तक भारत में सामाजिक सुरक्षा अंशदान जारी रख सकेंगे। यह प्रावधान भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की पहले दी गई पाँच वर्षों की छूट अवधि की सिफारिश के अनुरूप है।

2024 की शुरुआत में, दोनों देशों ने राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास में प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका को मान्यता देते हुए एक नई टेक्नोलॉजी सिक्योरिटी इनिशिएटिव (TSI) की शुरुआत की। यह पहल प्राथमिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों को लेकर द्विपक्षीय सहयोग को मज़बूत करती है। अब, यह भारत–यूके एफटीए इस साझेदारी को और अधिक मजबूती प्रदान करता है।

भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के महानिदेशक श्री चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, “भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) लंबे समय से एक व्यापक और दूरदृष्टि से युक्त भारत–यूके मुक्त व्यापार समझौते का पक्षधर रहा है। यह एफटीए हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक निर्णायक क्षण का प्रतिनिधित्व करता है, जो समावेशी विकास, आर्थिक स्थायित्व और औद्योगिक रूपांतरण के प्रति दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह समझौता भारतीय और ब्रिटिश उद्योगों के बीच गहरी बाज़ार पहुँच, विनियामक सहयोग और अगली पीढ़ी की साझेदारियों के लिए सुदृढ़ आधार तैयार करता है।“

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