देहरादून। डॉ कमल सोई, चेयरमैन, राहत, द सेफ कम्युनिटी फाउन्डेशन जो भारत सरकार में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य हैं, सड़क सुरक्षा, बुनियादी सुविधाओं के प्रबन्धन एवं परिवहन योजनाओं पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात विशेषज्ञ हैं। उन्होंने उत्तराखण्ड परिवहन विभाग की ओर से देहरादून और ऊधमसिंह नगर में स्थापित होने जा रहे मोटर वाहनों की फिटनेस जांच के लिए ऑटोमेटिक टेस्टिंग सेंटरों की टेंडर प्रक्रिया पर सवाल खड़े किये और टेंडर प्रक्रिया को एवं रद्द करने की मांग की है।
डॉ सोई ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के प्रतिनिधित्व में परिवहन आयुक्त कार्यालय, उत्तराखण्ड द्वारा 14 दिसम्बर 2021 को जारी ईओआई में गंभीर खामियों की ओर इशारा किया है। डॉ सोई ने पाया कि कथित ईओआई के तहत इच्छुक पार्टियों/ आवेदनकर्ताओं से 31 दिसम्बर 2021 तक आवेदन मांगे गए थे, इस तरह आवेदन के लिए सिर्फ 15 दिन का समय दिया गया। इतनी कम अवधि सीवीसी और जीएफआर नियमों का उल्लंघन है, जिससे भावी पार्टियां उलझन में पड़ जाएंगी, क्योंकि यह एक जटिल परियोजना है, जिसके वैधानिक नियमों को देखते हुए विश्लेषण और योजना बनाने की आवश्यता है। ऐसे में तकनीकी रूप से मजबूत और उचित पार्टियों के लिए भी आवेदन करना मुश्किल होगा। दूसरा, इसमें एक शर्त यह रखी गई है कि टेंडर डालने वाली कंपनी के पास उत्तराखंड में कम से कम दस साल पुरानी अपनी या लीज की जमीन होनी चाहिए, जो कि अव्यवहारिक है। उन्होंने यह भी कहा कि आवेदनकर्ता के लिए फिटनेस सेंटर चलाने को छह माह के अनुभव की शर्त पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि केंद्र सरकार की अधिसूचना के हिसाब से इसकी कोई आवश्यक नहीं है। लिहाजा उन्होंने देहरादून और उधम सिंह नगर, उत्तराखंड में मोटर वाहनों की फिटनेस जांच के लिए ऑटोमेटेड टेस्टिंग सेंटरों की स्थापना के लिए जारी ईओआई में संशोधन या निरस्तीकरण की मांग की है।