देहरादून। डोईवाला, देहरादून के रहने वाले एक प्रेरणादायक शिक्षक जसबिंदर सिंह ने अपने गाँव के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करवाने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है। एक साधारण सिख परिवार से आने वाले जसबिंदर ने बचपन में आर्थिक चुनौतियों और संघर्ष का सामना किया, जिसने उन्हें शिक्षा के माध्यम से अपने समुदाय को सशक्त बनाने के प्रति गहरी प्रतिबद्धता दी। गाँव में शिक्षा क्षेत्र को सशक्त बनाने पर केंद्रित एक अग्रणी नॉन-बैंकिंग फ़ाइनैंस कंपनी वर्तना से मिली वित्तीय सहायता की मदद से उनके स्कूल ने स्थानीय छात्रों को शिक्षा के अवसर सुनिश्चित करवाए। इस तरह उन्होंने स्कूल के लिए एक बुनियादी ढाँचे का विस्तार किया।
जसबिंदर को बचपन में शिक्षा हासिल करने के लिए दूर तक यात्रा करनी पड़ती थी। वे चाहते थे कि दूसरों के साथ ऐसा न हो, इसलिए उन्होंने 2003 में क्रिसेंट पब्लिक स्कूल की स्थापना की। अपने पिता की कृषि भूमि, व्यक्तिगत बचत और दोस्तों की सहायता से उन्होंने धन और कर्मचारियों की भर्ती सहित कई बाधाओं को पार किया। केवल 48 छात्रों के साथ शुरुआत करते हुए, उनका उद्देश्य गाँव के भीतर सस्ती और सुलभ शिक्षा प्रदान करना था।
क्रिसेंट पब्लिक स्कूल ने 2005 में राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त की, जो जसबिंदर के दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत का प्रमाण है। आज, स्कूल में 418 से अधिक छात्र हैं और यह ग्रामीण देहरादून में शैक्षिक सशक्तीकरण के प्रकाश स्तंभ के रूप में खड़ा है। शैक्षणिक उपलब्धियों से दो कदम आगे बढ़कर जसबिंदर ने अपने गाँव में शिक्षित युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर भी पैदा किए, जिससे सामुदायिक विकास में और अधिक योगदान दिया ।
कोविड के दौरान, जसबिंदर ने सभी छात्रों की फ़ीस माफ़ कर दी और यह सुनिश्चित किया कि उनके कर्मचारियों को पूरा वेतन मिले और यह भी सुनिश्चित किया कि ऑफ़लाइन से ऑनलाइन कक्षाओं में किसी तरह की दिक्कत न आए। इस अवधि के दौरान वर्तना से मिली अहम सहायता से स्कूल को वर्चुअल और समुदाय-आधारित शिक्षण प्लेटफार्मों के अनुकूल तेजी से ढलने में मदद की, जिससे छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए शिक्षा निरंतर और बिना किसी बाधा के जारी रह सकी।
भविष्य की ओर देखते हुए सिंह ने समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए क्रिसेंट पब्लिक स्कूल को आधुनिक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के साथ-साथ इनडोर खेल सुविधाओं से सुसज्जित करने की योजना बनाई है। अपनी इस यात्रा पर बात करने के दौरान जसबिंदर अपने विचार साझा करते हुए कहते हैं, “शिक्षा एक शक्तिशाली माध्यम है जो सभी को हर तरह से सक्षम बनाता है और सभी को सीखने और आगे बढ़ने का अधिकार देता है। उतना ही महत्वपूर्ण है कि शिक्षकों को भी सुरक्षा और मान्यता का एहसास हो, क्योंकि वे ही भविष्य की पीढ़ी का निर्माण कर रहे हैं। ये कोई विशेषाधिकार नहीं, बल्कि एक मजबूत और समान समाज के निर्माण के लिए मौलिक अधिकार हैं।
वर्तना के सह-संस्थापक और सीईओ स्टीव हार्डग्रेव उनकी प्रशंसा में कहते हैं, अपने समुदाय को सुलभ और किफ़ायती शिक्षा देने में जसबिंदर का दृढ़ समर्पण वास्तव में उल्लेखनीय है। व्यक्तिगत चुनौतियों को पार कर क्रेसेंट पब्लिक स्कूल स्थापित करने की उनकी यात्रा दृष्टि और दृढ़ संकल्प की शक्ति का प्रेरणादायक प्रमाण है। ऐसे बदलाव लाने वाले लोगों का समर्थन करना हमारे लिए सौभाग्य की बात है, जो अगली पीढ़ी के लिए अवसर सृजित करने में निरंतर प्रयासरत हैं।
महामारी के दौरान शिक्षा को जारी रखने और अपने स्टाफ का समर्थन सुनिश्चित करने के लिए उनके प्रयासों ने उनके नेतृत्व और स्कूल के मिशन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को उजागर किया है। ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में डिजिटल लर्निंग और समुदाय-आधारित शिक्षण में उनका सफल संक्रमण समस्याओं के समाधान के प्रति उनके नवाचारी दृष्टिकोण को दर्शाता है।
जसबिंदर का अपने स्कूल में आधुनिक तकनीक और खेल सुविधाओं को एकीकृत करने का दृष्टिकोण उनके दूरदर्शी सोच को दर्शाता है, जिसका उद्देश्य उनके छात्रों के लिए समग्र विकास को बढ़ावा देना है। उनकी इस प्रेरणादायक यात्रा का हिस्सा बनना हमारे लिए गर्व की बात है, और हम अपने मिशन के प्रति दृढ़ संकल्पित हैं कि उनके जैसे शिक्षकों को सशक्त बनाते रहें, जो ग्रामीण समुदायों में जीवन बदलने और स्थायी प्रभाव पैदा करने का कार्य कर रहे हैं। उनकी कहानी हम सभी को प्रगति की राह पर आगे बढ़ने और भावी पीढ़ियों को सशक्त बनाने की शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति में विश्वास करने के लिए प्रेरित करती है।