देहरादून। मायलैब ने भारत में निर्मित पहली टीबी डिटेक्शन किट के लिए सीडीएससीओ, तपेदिक विशेषज्ञ समिति और आईसीएमआर का अनुमोदन हासिल किया है। यह किट ना केवल तपेदिक का पता लगाती है बल्कि एक ही जांच में तपेदिक के साथ ही रिफैमपिसिन और आयसोनियाज़िड जैसी कई दवा प्रतिरोधों का भी पता लगा लेती है। इस किट का नाम पैथोडिटेक्ट एमटीबी आरआईएफ और आईएनएच ड्रग रेजिस्टेंस किट है।
यह किट आरटीपीसीआर आधारित किट है जो सटीक डिटेक्शन करती है और इसका इस्तेमाल मायलैब कॉम्पैक्ट डिवाइस सिस्टम्स के साथ किया जाएगा। इस सिस्टम के ज़रिए कई नमूनों की पूर्णतः स्वचालित जांच 2 घंटों के भीतर पूरी हो जाएगी। यह 2025 तक भारत से तपेदिक के उन्मूलन का माननीय प्रधानमंत्री के सपने के समर्थन में सहायक होगा। इस किट के द्वारा तपेदिक के लिए बेहतर जांच विकल्प कैसे मिलते हैं, यह बताते हुए मायलैब के प्रबंध निदेशक हसमुख रावल कहते हैं, “हम यहां एक साथ कई समस्याओं पर काम कर रहे हैं। पहले तो एक साथ कई जांचें करने वाले स्वचालित सिस्टम को गति को बढ़ाना। दूसरे, आरटी-पीसीआर जांच के लिए प्रशिक्षित जनशक्ति की कमी है, जिस पर अब भारत पूरी तरह से स्वचालित सिस्टम से काबू पा सकता है क्योंकि इसमें नमूनों और अभिकर्मकों को संभालने के लिए बेहद तकनीकी इंसान की ज़रूरत नहीं पड़ती।”
आईसीएमआर के तत्वाधान में तपेदिक विशेषज्ञ समिति द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए कठोर फील्ड निरीक्षणों और सिफारिश के बाद इस किट को मंज़ूरी दी गई है।
दवा प्रतिरोध के अहम् बिंदु पर ज़ोर देते हुए, हसमुख रावल कहते हैं, “बात जब तपेदिक की हो, तो दवा प्रतिरोध की समस्या बहुत बड़ी होती है। अब तक, भारत में 2 जांचें की जाती थीं पहली तपेदिक का पता लगाने और दवा प्रतिरोध को जांचने के लिए, वह भी केवल एक दवा (रिफैमपिसिन) के खिलाफ। मायलैब की पैथोडिटेक्ट किट के साथ, एक ही जांच में मरीज अपने सक्रिय तपेदिक संक्रमण के साथ-साथ 2 बेहद आम दवाओं आयसोनियाज़िड और रिफैमपिसिन के प्रति दवा प्रतिरोध के बारे में जान सकते हैं और ऐसा इलाज करा सकते हैं जो सच में काम करेगा। भारत की तपेदिक जांच में यह एक मील का पत्थर है।”