नैनीताल। कोरोना महामारी के कारण दो साल से बंद कैलास मानसरोवर यात्रा के इस बार भी शुरू होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। कुमाऊं मंडल विकास निगम प्रबंधन भी अब स्वीकार कर चुका है कि इस बार भी यात्रा मुश्किल है। ऐसे में KMVN को सालाना करीब ढाई करोड़ का नुकसान हो रहा है। साथ ही यात्रा के बहाने राष्ट्रीय स्तर पर निगम की ब्रांडिंग भी नहीं हो पा रही है।आदि कैलास यात्रा कार्यक्रम जारी होने के बाद कैलास मानसरोवर यात्रा होने की उम्मीद नहीं के बराबर है। यात्रा संचालक कुमाऊं मंडल विकास निगम के जीएम एपी बाजपेयी के अनुसार विदेश मंत्रालय के दिशा निर्देश पर ही यात्रा संचालन की जिम्मेदारी निगम उठाता है। निगम का काम सिर्फ व्यवस्था करना है। इसमें वाहनों की व्यवस्था से लेकर उच्च हिमालयी क्षेत्रों में यात्रा पड़ाव में सुविधाएं जुटाना, पैदल रास्तों को दुरुस्त करना शामिल है।उच्च हिमालयी क्षेत्रों तक अब सड़क सुविधा के बाद श्रद्धालुओं को पैदल नहीं चलना पड़ेगा और आवागमन के लिए वाहन की सुविधा भी मिलेगी। जीएम के अनुसार अब तक विदेश मंत्रालय से यात्रा को लेकर कोई दिशा निर्देश नहीं मिले हैं। यात्रा को लेकर दिसंबर में दिल्ली में होने वाली बैठक भी नहीं हुई है। इसके साथ ही चीन में कोरोना फिर फैलने लगा है। चीन के साथ संबंधों में तनाव के कारण भी अड़चन पैदा हो रही है। इन परिस्थितियों में इस बार कैलास यात्रा होना बहुत मुश्किल है।कुमाऊं मंडल विकास निगम संचालित कैलास मानसरोवर यात्रा में 1981 से 2019 तक 17794 भक्त शिव के धाम मानसरोवर का दर्शन कर चुके हैं। निगम के मंडलीय साहसिक पर्यटन प्रभारी गिरधर मनराल ने बताया कि 1981 में तीन दलों में 59 लोग यात्रा में शामिल हुए थे, 2019 तक दलों की संख्या 18 हो गई। 2013 की आपदा की वजह से दो दलों में 105 यात्री गए, जबकि 2014 से 2019 तल हर बार 18 दल यात्रा में गए। 2014 में 910, 2017 में 921, 2018 में 893 तथा 2019 में सर्वाधिक 949 तीर्थयात्रियों ने यात्रा की।