मदकोट : उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में मानसून के समय जलस्तर बढ़ने से नदी के बीच टापू में तीन गायें फंस गईं। तेज बहाव व भारी जलस्तर के कारण उन्हें आठ महीने तक निकाला नहीं जा सका। पिछले आठ माह से गोरी नदी के बीच बने टापू पर फंसी तीन बेसहारा गायें बुधवार को मुख्य जमीन पर पहुंचा दी गईं। आपदा प्रबंधन टीम ने दो दिन की मशक्कत के बाद गायों को वहां से बाहर निकाला।पिछले वर्ष जुलाई में मदकोट के वाता गांव की तीन लावारिस गायें पैदल पुल से गोरी नदी के तट पर बने टापू तक पहुुंच गई। नदी के उफान पर आने से पुल को टापू से जोडऩे वाला मार्ग टूट गया, जिससे गायें टापू में ही फंस गई। पिछले आठ माह से ये गायें टापू में उगी घास और नदी के पानी पर आश्रित रहीं। गायों के टापू पर फंसे होने का मामला मीडिया के जरिये सामने आया, लेकिन जानवरों के रेस्क्यू की दिशा में कोई पहल नहीं हुई।टापू पर घास खत्म होने के बाद अब गायों के जीवित बने रहने की संभावना कम हो गई थी। क्षेत्रवासियों ने आपदा प्रबंधन विभाग से जानवरों को बाहर निकालने की गुहार लगाई। मुनस्यारी से आपदा प्रबंधन विभाग के करन ङ्क्षसह, नरेश ङ्क्षसह, हरेंद्र ङ्क्षसह रस्सियों के सहारे टापू पर पहुंचे।टापू के तीन और गोरी नदी और एक ओर खड़ी चट्टान है। पुल का रास्ता टूटा हुआ है। पुल से गायों को बाहर निकालने का प्रयास सफल नहीं हुआ। जवानों ने गोरी नदी के रस्सियों के सहारे बड़ी गाय को बाहर निकाला।दो छोटी गायों के नदी के पानी में डूबने की आशंका को देखते टीम ने खड़ी चट्टान पर दो दिन की मशक्कत के बाद रास्ता बना बुधवार को वहां से गायों को बाहर निकाला। क्षेत्रवासियों ने बेसहारा जानवरों के लिए आश्रय स्थल बनाए जाने की मांग की है।