हल्द्वानी :विधानसभा चुनाव-2022 की जीत के बाद भापजा की निगाहें निकाय चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव पर हैं। इसके लिए पार्टी ने मंत्रिमंडल के जरिये कुमाऊं में कई समीकरण साधने की कोशिश की है। फिलहाल राज्य की राजनीति में ब्राह्मण व अनुसूचति जाति का कोई भी बड़ा चेहरा नहीं है। अजय भट्ट व अजय टम्टा सांसद के तौर पर केंद्र की राजनीति में है।पिछले विधानसभा चुनाव के बाद पिथौरागढ़ सीट से जीत हासिल करने वाले प्रकाश पंत कुमाऊं में सबसे बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में उभरे थे। उनके निधन के बाद बंशीधर भगत को बड़े चेहरे रूप में देखा जा रहा था। उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के बाद कैबिनेट मंत्री बनाया गया था, लेकिन अभी उन्हें धामी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया।वहीं गदरपुर से पांचवी बार के विधायक अरविंद पांडे को भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। धामी सरकार के समय कुमाऊं से मंत्रिमंडल में ब्राह्मण चेहरे की बात करें तो सौरभ बहुगुणा ही हैं, जिन्हें पार्टी ने आगे बढ़ाया है। वैसे तो वह मूल रूप से गढ़वाल के हैं, लेकिन पिछले दो चुनाव वह सितारगंज की विधानसभा सीट से जीतते आ रहे हैं। इसलिए पार्टी ने उन्हें मंत्री बनाकर बड़ा चेहरा बनाने की कोशिश की है।कुमाऊं से अनुसूचित जाति के बड़े चेहरे को लेकर भी कोई दमदार नेता नहीं दिखता है। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए यशपाल आर्य को बड़ा चेहरा माना जा रहा था। वह बाजपुर सीट से चुनाव जीतकर कैबिनेट मंत्री बनाए गए थे। उनके बेटे संजीव आर्य भी नैनीताल से विधायक बने, लेकिन पिता-पुत्र 2022 के चुनाव में वापस कांग्रेस में चले गए।इसके बाद भाजपा में अनुसूचित जाति के बड़े चेहरे की तलाश थी। बागेश्वर से लगातार चौथी बार के विधायक चंदन राम दास को मंत्रिमंडल में शामिल अनुसूचित जाति के बड़े चेहरे के रूप में उभारने की कोशिश की गई है। राम दास भी भाजपा में आने से पहले कांग्रेस के ही नेता रहे हैं।