देहरादून। उत्तराखंड में कांग्रेस नए प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष समेत तीन पदों पर निर्णय एक साथ होना तय है। पार्टी नेतृत्व 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर संगठन को मजबूती से खड़ा करने की तैयारी में है। इस राह में सबसे बड़ी चुनौती पार्टी के भीतर गुटबंदी और खींचतान की है। चुनाव के बाद जिस तेजी से दिग्गजों के बीच तल्खी बढ़ी है, उसे देखते हुए पार्टी नेतृत्व के लिए भी नई नियुक्तियों को लेकर निर्णय लेना आसान नहीं है। माना जा रहा है कि फिर से मुकाबले में आने के लिए इन महत्वपूर्ण पदों के बहाने क्षेत्रीय व जातीय संतुलन को नए सिरे से साधा जा सकता है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के परिणाम आशा के विपरीत आने के पांच दिन बाद ही प्रदेश अध्यक्ष पद से गणेश गोदियाल को हटा दिया। पार्टी नेतृत्व ने यह कदम उठाने के साथ ही संगठनात्मक ढांचे को पुनर्गठित करने के स्पष्ट संकेत दे दिए थे। एक पखवाड़ा गुजरने के बाद भी नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं की गई। यही नहीं, विधानसभा में नए नेता प्रतिपक्ष के लिए पार्टी विधानमंडल दल के नेता के चयन में भी पार्टी ने जल्दबाजी नहीं दिखाई। विधानसभा सत्र शुरू होने से ठीक एक दिन पहले यानी बीती 28 मार्च को प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव को भेजकर विधायकों के सुझाव लिए गए, लेकिन नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं किया गया। पार्टी नेतृत्व के इस रुख के निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। प्रदेश में चल रही दबाव की राजनीति पर पार्टी नजर बनाए हुए है। चुनाव परिणाम आने के बाद ही प्रदेश में पार्टी के दिग्गज नेताओं के बीच हार के कारणों को लेकर रार तेज हो चुकी है। आरोप-प्रत्यारोपों के माध्यम से हार का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ा जा ही रहा है, प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव भी निशाने पर हैं। ऐसे में संगठन को नए सिरे से मजबूत करने की अहम जिम्मेदारी नए प्रदेश अध्यक्ष पर होगी। प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष के चयन के माध्यम से प्रदेश के समीकरणों को पार्टी के पक्ष में मोडऩे की कसरत की जा रही है। पार्टी को दो साल बाद लोकसभा चुनाव के मोर्चे पर जूझना है। इसलिए नई नियुक्तियों में तालमेल पर जोर रहने की संभावना जताई जा रही है। माना ये भी जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष के साथ एक या दो कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किए जा सकते हैं। कांग्रेस विधानमंडल दल के पूर्व नेता प्रीतम सिंह का कहना है कि प्रदेश में कांग्रेस के सभी विधायक और वरिष्ठ नेता नेता प्रतिपक्ष के चयन करने का अधिकार पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंप चुके हैं। नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी जिन्हें भी सौंपी जाएगी, पार्टी के सभी लोग उनके साथ मजबूती से काम करेंगे।