देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज अपने आवास पर पत्रकारों से वार्ता करते हुये कहा की वह और उनकी बेटी चुनाव हारें, कुछ लोग ऐसा चाहते थे। ये लोग कौन हैं, इनका पता लगाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा भाजपा ने उन पर जबर्दस्ती चिपका दिया। वह उत्तराखंडियत के मुद्दे पर मुख्यमंत्री और भाजपा सरकार को घेरने में कामयाब हो रहे थे तो भाजपा और उनके स्टार प्रचारकों ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी का दांव खेल दिया। मुस्लिम यूनिवर्सिटी की मांग करने वाले व्यक्ति को प्रदेश संगठन में उपाध्यक्ष किसने बनाया, इसकी जांच होनी चाहिए। उनकी बेटी अनुपमा रावत के चुनाव क्षेत्र हरिद्वार ग्रामीण में उस व्यक्ति को पर्यवेक्षक बनाया जाना भी जांच का विषय है। कुछ लोग चाहते थे कि वह और उनकी बेटी चुनाव हार जाएं। हरीश रावत ने कहा कि जब वह कह रहे थे कि चुनाव उनके नेतृत्व में लड़ा जाना चाहिए तो सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही गई। अब हार के बाद वह जिम्मेदारी ले रहे हैं तो सामूहिक दायित्व से पीछे हटने वालों को सोचना चाहिए। त्याग की अपेक्षा केवल एक ही व्यक्ति या गुट से नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि उनकी सक्रियता ही दुर्भाग्य बन रही है। वह पीछे हटते हैं तो कहा जाएगा कि हरीश रावत ने समर्पण कर दिया। यदि पार्टी में उनकी वजह से झगड़े हो रहे हैं तो पार्टी नेतृत्व को कार्रवाई करनी चाहिए। कांग्रेस कह देगी तो वह कहीं और आशियाना ढूंढेंगे। रावत ने कहा कि हार के बाद कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने की आवश्यकता है। हारने के बाद से वह पांच हजार से ज्यादा कार्यकर्ताओं से बात कर चुके हैं। पार्टी प्रत्याशियों से भी लगातार मुलाकात कर रहे हैं।