नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत मंगलवार को वर्चुअल ओपन स्कूलिंग प्लेटफार्म की शुरुआत की है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एऩआइओएस) के तत्वावधान में संचालित होने वाले इस ऑनलाइन प्लेटफार्म का लाभ उन बच्चों को मिलेगा जो विभिन्न कारणों से स्कूल नहीं जा पाते। इसके साथ ही नैसर्गिक चुनौतियों का सामना कर रहे दिव्यांग बच्चों के लिए प्रिया सुगम्यता नाम की एक ई-कॉमिक पुस्तिका लांच की गई है जो सरल, आकर्षक और इंटरएक्टिव तरीके से सुगम्यता का पाठ पढ़ाएगी।
स्कूली शिक्षा विभाग की तरफ से आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री वीरेंद्र कुमार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बीते एक साल की उपलब्धियों पर एक पुस्तिका के साथ साथ चार पहलों को लांच किया। इनमें निपुण भारत बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान से संबंधित समस्त सामग्री की उपलब्धता दीक्षा पोर्टल पर और ऑल्टरनेटिव एकेडमिक कलेंडर ऑफ एनसीईआरटी भी शामिल हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि शिक्षा अंकगणित या डिग्री प्राप्त करने की व्यवस्था नहीं है। चरित्र निर्माण के जरिए राष्ट्र निर्माण हो इसका उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि देश में आज भी करीब 17 करोड़ बच्चे ऐसे हैं जो सामाजिक, आर्थिक समेत कई वजहों से पारंपरिक तरीके से स्कूली शिक्षा हासिल नहीं कर पा रहे हैं। स्कूली शिक्षा विभाग ऐसे बच्चों के लिए नया मंच लेकर आया है। इसका नाम है वर्चुअल स्कूल। अब सभी बच्चे इस व्यवस्था से शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे। शिक्षा मंत्री ने कहा कि जब ये बच्चे एटीएम से पैसे निकाल सकते हैं, मोबाइल पर प्री पेड वाउचर भर सकते हैं, विभिन्न प्रकार के डिजिटल भुगतान कर सकते हैं तो फिर वे ओपन वर्चुअल माध्यम से शिक्षा भी प्राप्त कर सकते हैं। श्री प्रधान ने शिक्षा मंत्रालय के इस प्रयास को प्रधानमंत्री की ओर से उन वंचित विद्यार्थियों को समर्पित किया जो सामाजिक चुनौतियों के दबाव में कहीं न कहीं पीछे रह गए हैं।
इसके अतिरिक्त शिक्षा मंत्रालय ने एक और अहम कदम उठाते हुए दिव्यांग बच्चों के लिए इंटरएक्टिव एक्टिविटी के जरिए सुगम्यता को समझाने वाली एक ई-कॉमिक पुस्तिका ‘प्रिया सुगम्यता’ को भी जारी किया। इसका विमोचन करते हुए श्री प्रधान ने कहा कि आबादी की एक बड़ी संख्या करीब छह फीसद बच्चों की कुछ न कुछ नैसर्गिक चुनौतियां हैं। लेकिन अब सरकार और समाज ने मिलकर इस चुनौती को स्वीकार किया है। ऐसे दिव्यांग बच्चों, दृश्टि, वाक शक्ति या सुनने की शक्ति न रखने वाले बच्चों के लिए सरकार ई-कॉमिक के रूप में हम एक पुस्तिका लेकर आए हैं। प्रिया सुगम्यता नाम की यह पुस्तिका आज की सबसे बड़ी उपलब्धि है। इसी से सबका विकास होगा, सबका विश्वास बड़ेगा। श्री प्रधान ने कहा कि हमारी सरकार, हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की यही नीति है।
इस अवसर उपस्थित सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री श्री वीरेंद्र कुमार ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय स्कूल पाठ्यक्रम में सुगम्यता से संबंधित सामग्री को शामिल करने के साथ साथ विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए समावेशी शिक्षा शास्त्र विकसित करने के संबंध में शिक्षा क्षेत्र के लिए सुगम्यता से संबंधित कंटेंट भी तैयार कर रहा है। भारत सरकार ने इस विषय की गंभीरता का प्रारंभ से ही समझा है इसलिए प्रिया सुगम्यता शीर्षक की इस ईकामिक पुस्तिका बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। यह देखते हुए कि सुगम्यता का मार्ग कठिन, और जटिल है इस ईकॉमिक पुस्तिका को इंटरएक्टिव बनाने पर जोर दिया गया है।
प्रिया सुगम्यता सरल, छोटे और रोचक तरीकों से बड़ी और महत्वपूर्ण चीजों के बारे में सीखने का प्रयास है। व्हील चेयर का विभिन्न स्थानों पर इस्तेमाल, रैंप का उपयोग आदि सुगम्यताओं की मूल बातों को इस ई कॉमिक में आसान फारमेट में समझाया गया है। इसमें पूर्ण सुगम्यता सुनिश्चित करने के लिए इसमें सुगम्यता सुविधाओं जैसे टेक्स्ट टू स्पीच, फांट साइज, साइन लैंग्वैज आदि प्रदान किये गये हैं जिससे कोई व्यक्ति इसे पढ़ सकता है बल्कि सुन भी सकता है। इस ई कामिक बुक को क्यूआर कोड से भी एक्सेस किया जा सकता है। इस पुस्तिका के प्रत्येक दृश्य को ऑडियो डिस्क्रपि्शन के माध्यम से भी समझाया गया है।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रत्येक सरकार नीति बनाती है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है उसे जमीन पर हकीकत बनाना। यानी उसका पूर्ण रूप से अमल में लाना। यही सबसे बड़ी चुनौती है। हमारी सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकार करने के बाद बीते एक साल में उस पर अमल के लिए क्या कदम उठाये, उसे एक डाक्यूमेंट के रूप में रखा है। निपुण भारत मिशन लांच करते हुए मंत्रालय ने पहली से तीसरी कक्षा के बच्चों के लिए निपुण भारत बुनियादी साक्षरता व संख्या ज्ञान के लिए आवश्यक सामग्री को सरकार न दीक्षा पोर्टल पर उपलब्ध कराया है। इन बच्चों की बुनियादी साक्षरता मजबूत हो और शिक्षकों में यह गुण आए उस दिशा में सरकार क्या करने वाली है उसका एक मसौदा शिक्षा मंत्रालय ने सार्वजनिक तौर पर रखा है। हमारा प्रयास है कि आने वाले दो साल में इंटरनेट देश के प्रत्येक स्कूल तक पहुंचे। इसके लिए हम आइटी और संचार मंत्रालय से बातचीत कर रहे हैं। गांव गांव में हॉट स्पॉट लगे ताकि स्कूल तक इंटरनेट की पहुंच हो। यह सारी व्यवस्था होगी तभी डिजिटलाइजेशन पूर्ण होगा।