देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट करते हुये कहा की मैं अब होली के बाद थैंक्यू हरिद्वार कहने जाऊंगा और लालकुआं भी जाऊंगा। मेरा मन कहता है कि मुझे अल्मोड़ा-पिथौरागढ़, चंपावत के लोगों को भी धन्यवाद देने जाना चाहिए। क्योंकि यह ऐसा क्षेत्र है, जहां से मैं भले ही लगातार कई चुनाव हार गया, मगर प्रत्येक चुनाव में मुझे बुरी से बुरी स्थिति में भी डेढ़ लाख से ऊपर वोट देकर मेरे मनोबल को बनाए रखा। मैं उसी के बल पर यहां तक की राजनैतिक जीवन की यात्रा को कर पाया हूं। इसलिए इस बार भी मेरा मन अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र और गोलज्यू को धन्यवाद देने के लिए जाने का है। नैनीताल संसदीय क्षेत्र के भी हम कांग्रेसजन बहुत आभारी हैं। मैं यहां से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और इस बार कांग्रेस को 6 सीटों पर विजयी बनाकर इस क्षेत्र के लोगों ने हमें बहुत उपकृत किया है। किच्छा जहां से मैं विधानसभा का चुनाव हार गया था, वहां के लोगों ने भी इस बार कांग्रेस को विजई बनाया है, मैं वहां भी धन्यवाद देने जाऊंगा। लालकुआं के लोगों ने मुझसे श्रेष्ठ व्यक्ति को चुना है। मैं तो अचानक लालकुआं चुनाव लड़ने पहुंच गया। वहां से कांग्रेस पार्टी के सभी उम्मीदवार जिनमें हरीश दुर्गापाल जी, हरेंद्र बोहरा जी और श्रीमती संध्या डालाकोटी सम्मिलित हैं, वहां पिछले 5 वर्षों से काम कर रहे थे। उनके अनुयायी पिछले 5 वर्ष से अपने नायकों के नेतृत्व में संघर्ष कर रहे थे। मैं अचानक पहुंच गया, उनके नायक तो मेरे साथ आ करके खड़े हो गये, मगर अनुयायियों के लिए मुझे स्वीकार करना पहले दिन से ही कठिन लग रहा था और मेरा मन इस बात को लेकर के बहुत दु:खी था कि मैं एक बेटी के टिकट काटने का माध्यम बन गया। मुझसे कहा गया कि मेरे चुनाव लड़ने से सबका झगड़ा समाप्त हो जाएगा और सब आपका सपोर्ट करने के लिए उत्साहित हैं। मगर लालकुआं आने पर लगा कि स्थिति बिल्कुल विपरीत है। एक बार तो मैंने नामांकन न करने का फैसला ले लिया था, फिर अपने उस फैसले के दुष्परिणामों के विषय में सोच कर मैंने भारी मन से नामांकन किया और मैं कुछ दिनों तक असहज बना रहा। फिर बहुत देखने के बाद मुझे लगा कि मैं लालकुआं के विधायक के रुप में इस क्षेत्र को राज्य के सर्वांगीण विकास का जिसमें आर्थिक विकास प्रमुख है, मॉडल बना सकता हूं तो मैंने क्षेत्रीय विकास का घोषणा पत्र भी जारी किया और अपने को मानसिक रूप से लालकुआं के प्रतिनिधित्व करने की सोच के साथ जोड़ लिया, खैर ऐसा हो नहीं पाया। प्रारब्ध ने मेरे भाग्य में हार लिखी हुई थी, मैं उसके लिए लालकुआं के लोगों से क्षमा प्रार्थी हूं और मैं लालकुआं को थैंक्यू कहने के लिए जरूर जाऊंगा, होली के बाद ऐसा कार्यक्रम बनाऊंगा। मैं श्रीनगर क्षेत्र भी जाना चाहता हूँ और मैं वहां यदि वीरचंद्र सिंह गढ़वाली जी के गांव नहीं जा पाया तो फिर गैरसैंण में उनकी मूर्ति के सम्मुख, मैं यह जरूर श्रीनगर क्षेत्र के लोगों से पूछना चाहूंगा कि आखिर गणेश गोदियाल जी से बेहतर भावनात्मक रूप से पूर्णतः समर्पित उनको और कौन सा प्रतिनिधि मिल सकता है? जो व्यक्ति मुंबई में कमाए और राठ के गांव में आकर उस पैसे से महाविद्यालय खड़ा करें ताकि क्षेत्र का शैक्षिक विकास हो सके, तो हम ऐसे लोगों के भावना की कद्र न कर यदि कुछ और सतही सवालों पर उलझ कर गणेश गोदियाल जैसे लोगों को ठुकरा देंगे, मुझे अपनी हार से भी ज्यादा श्री गणेश गोदियाल जी की हार का दर्द है। श्री गणेश गोदियाल कल के उत्तराखंड के नायक हैं, ऐसे लोगों को जीतना ही चाहिए। कर्णप्रयाग, गैरसैंण, पिण्डर, और चमोली क्षेत्र के लोगों से भी मुझे कुछ सवाल करने हैं! मैं वहां भी जाना चाहता हूं। हमने अपने सभी सीमांत क्षेत्रों को जिनमें चमोली, पिथौरागढ़, बागेश्वर, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, केदारनाथ सम्मिलित हैं, इन जिलों के विकास के लिए योजनाबद्ध तरीके से कई काम करवाए हैं और इन क्षेत्रों को आगे बढ़ाया है। यहां हमारे जनप्रतिनिधिगण एक से एक आदर्श जनप्रतिनिधि हैं, इन क्षेत्रों से हारे हुए उम्मीदवारों की हार का मुझे बहुत गहरा आघात लगा है। राजेंद्र भंडारी जी भगवान बद्रीश की कृपा से विजई हो गए, मगर जिन्हें हजारों-हजार वोटों से जीतना चाहिए था वो अपनी जीत के लिए तरस गए। मैं इन क्षेत्र के लोगों से भी अपने दिल का दर्द बांटने उनके भी जरूर जाऊंगा। कोटद्वार, देवप्रयाग, गंगोत्री, जागेश्वर, चंपावत, गंगोलीहाट, डीडीहाट में कांग्रेस नहीं विकास हार गया, जिनके लिए हमने अपने आपको समर्पित किया, उन्होंने हमारी दिल की भावनाओं को नहीं देखा। कुछ सतही प्रचार के मुद्दों में आकर कांग्रेस को चुनाव हरा दिया, यह किसी भी रूप में उत्तराखंड के हित में नहीं है, अपनों से साफ बातचीत करना हमेशा अच्छा रहता है। मैं इन जनपदों का भी भ्रमण करूंगा और लोगों से साफ-साफ बात करूंगा और अपनी गलती भी पूछूंगा।