देहरादून । होली खुशियों और मस्ती से भरपूर त्यौहार है, लाजिमी है तो भला इस खुशी और उमंग से गर्भवती महिलाएं क्यों पीछे रहें। होली एक ऐसा खुशियों और मस्ती से भरा हुआ त्यौहार है, जिसका हर कोई अपने परिवार तथा दोस्तों के साथ लुत्फ उठाना चाहता है। वही गर्भवती महिलाओं को खान-पान का भी खास ख्याल रखना बेहद आवश्यक है। संजय ऑर्थेापीडिक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ0 सुजाता संजय का मानना है कि गर्भवती महिलाओं में प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, ऐसे में बीमारियों और इंफेक्शन का खतरा भी उन्हें अधिक होता है। साथ ही प्रेग्नेंसी के दौरान आपकी स्किन भी बेहद सेंसिटिव रहती है। इस कारण जिन रंगों से सामान्य लोगों को कोई परेशानी नहीं होती है, उन रंगों के प्रति भी प्रेग्नेंट महिलाएं संवेदनशील हो सकती हैं। मार्केट में आमतौर पर मिलने वाले रंगों में सिंथेटिक, इंडस्ट्रियल डाई और ऑक्सिडाइज्ड मेटल होता है। ऐसे में ये रंग होने वाले बच्चे के नर्वस सिस्टम और सांस से संबंधित रेस्पिरेटरी सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इतना ही नहीं केमिकल वाले रंगों की वजह से मिसकैरेज, प्रीमच्योर डिलिवरी और जन्म के वक्त बच्चे का वजन कम होना जैसी गंभीर दिक्कतें भी हो सकती हैं। डॉ0 सुजाता संजय कुछ सावधानी बरतने की सलाह देती हैं, ताकि गर्भवती महिलाओं का स्वास्थ्य न बिगड़े और उनमें त्यौहार का उत्साह बना रहे। उनका कहना हैं कि सावधानी न बरतने पर समय से पहले बच्चे का जन्म होना, जन्म के दौरान बच्चे के वजन में कमी तथा गर्भपात जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। उनका सुझाव है कि गर्भवती महिलाएं हर्बल के रंगों से खेल सकती हैं, जो फलों तथा फूलों के द्वारा बनाई जाती है। रंगों में डूब जाने का त्योहर, मेल-जोल, खाने-पीने, मस्ती और हुड़दंग का त्योहार होली बस आने ही वाला है। हर तरफ होली की धूम है। हर कोई रंगों में भीग जाना चाहता है। लेकिन आम लोग होली पर जितनी मस्ती, उछल-कूद और हुड़दंग कर सकते हैं, प्रेग्नेंट महिलाओं को उतनी ही सावधानी बरतनी पड़ती है। अगर होली के त्योहार की मस्ती में प्रेग्नेंट महिला जरा सी लापरवाही करे तो उनकी स्किन तो डैमेज होगी ही उनके पेट में पल रहे बच्चे को भी नुकसान हो सकता है। होली के त्योहार में रंगों के साथ ही पानी का भी काफी यूज होता है जिससे आपके बीमार पड़ने का भी खतरा रहता है। याद रखें, होली खेलना एक तरह का मनोरंजन है। मगर गर्भवतियों को ध्यान रखना चाहिए कि अब सिर्फ आप नहीं हैं, आपके साथ एक नन्हीं जिंदगी भी है, जिसका पूरा ख्याल रखना है। डॉ0 सुजाता संजय साफ तौर पर शराब जैसी पदार्थ के सेवन को मना करती। यंू तो केमिकल युक्त रंग और मिलावटी मिठाइयां किसी के लिए खतरनाक हो सकती हैं पर गर्भवती महिलाओं को खास ख्याल रखने की सलाह दी जाती है ये चीजें गर्भवती महिला और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे, दोनों ही के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती हैं। अगर आप न्यू मॉम हैं और बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग करवाती हैं तो आपको भी होली के दौरान केमिकल वाले हानिकारक रंगों से बिलकुल दूर रहना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर ये रंग आपके दूध के जरिए शिशु के शरीर में पहुंच जाएं, तो नवजात के स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकते हैं। होली खेलने के बाद अपने आपको पूरी तरह से साफ करें। लोग कई बार रंगों को साफ करने के लिए मिट्टी का तेल, नेल पेंट रिमूवर जैसी चीजों का इस्तेमाल करते हैं, मगर आपको ऐसा कुछ करने की जरूरत नहीं है। आप रंगों को हटाने के लिए बेसन का भी प्रयोग कर सकती हैं जो पूरी तरह प्राकृतिक है। अगर आप पर किसी ने गीला या रसायन युक्त रंग डाल दिया है तो तुरंत अपने चेहरे को साफ पानी से धोएं। रंगों को हटाने के लिए हर्बल चीजों का ही इस्तेमाल करें। रंग लगी त्वचा पर जलन, सूखापन तथा फंुसी हो जाए तो डॉक्टर से जांच करवाएं। अपनी आंखों को रंग व गुलाल से बचाएं। इस साल भी कोरोना वायरस साथ में है इसलिए गर्भवती महिलाओं को दोगुना ध्यान रखना होगा। यह अच्छा होगा कि आप इस साल घर पर ही होली खेलें और इस त्योहार में केवल अपने परिवार के लोगों को ही शामिल करें। बाहर के ज्यादा मेहमानों को बुलाना जहां तक हो सके वहां तक अवॉयड करें। इस होली में आप और ज्यादा मजा एड करने के लिए घर पर ही बहुत अच्छी और स्वादिष्ट डिश और मिठाइयां बना सकते हैं। गर्भ के दौरान आपके लिए सबसे ज्यादा जरूरी आपकी और आपके बच्चे की सुरक्षा होनी चाहिए न की होली खेलना। अगर आप एक साल होली कम भी खेल लेंगी तो हर साल अपने और अपने बच्चे के साथ इस त्यौहार का आनंद ले पाएंगी। जोकि इस साल से कहीं गुणा ज्यादा होगा। इसलिए होली खेलते समय सभी सुरक्षा नियमों का सावधानी से पालन करें और अपनी ओर बच्चे की सेहत को लेकर थोड़ी सी भी लापरवाही न बरतें। वर्ना यह आप पर और आपके पूरे परिवार पर बहुत भारी होली पड़ सकती है। इन टिप्स का जरूर पालन करें।