आसमान में दिखी उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक

ऋषिकेश। सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के दौरान उत्तराखंड में पहली बार आयोजित ड्रोन शो ने दर्शकों को भाव विभोर कर दिया। योग की महत्ता और राज्य की समृ​द्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हुए अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव की छवि आकाश में उभरती हुई दिखाई पड़ी। इस ड्रोन शो में जहां योग के महत्व को दिखाया गया वहीं यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ के साथ आकाश में देवभूमि उत्तराखंड की छवि दिखाई पड़ती है। उत्तराखंड देवताओं की भूमि है, इस धरती पर देवों और गुरुओं का वास है। हरिद्वार, केदारनाथ देवप्रयाग, नंदप्रयाग, गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्री विशाल और हेमकुंड साहिब इसे ज्ञान और मोक्ष की धरती बना देते हैं।

यहां हर शिखर पर मंदिर हैं, हर नदी का संगम। उत्तराखंड की धरती तप की धरती है। यह तपोभूमि है, यह देवभूमि है, इसी संबोधन के साथ जब आकाश में ओंकार की आकृति उभरती है तो शो में मौजूद हर शख्स की आंखे एकटक होकर निहारती रह जाती हैं। आईआईटी दिल्ली द्वारा तैयार किया गया यह शो पूर्णत: मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया की पहल को आगे बढ़ता है। युवा प्रतिभाओं द्वारा तैयार किया गया ड्रोन शो ऋषिकेश की धरती पर पहली बार आयोजित किया गया। लेकिन आईआईटी कंपनी इससे पहले नई दिल्ली स्थित विजय चौक पर आयोजित बीटिंग ​द रिट्रीट सेरेमनी सहित कई अन्य महत्वपूर्ण सरकारी कार्यक्रमों में ड्रोन शो की प्रस्तुति दे चुकी है।

विभिन्न आकृतियों और रंगों से सराबोर यह ड्रोन शो इस मायने में भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि जब हम पूरी दुनिया को योग का पाठ पढ़ा रहे हैं तो अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के जरिए हम दुनिया को अपने ज्ञान विज्ञान की तकनीक के बारे में भी बता रहे हैं। जिस तरह से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा की चर्चा आज पूरी दुनिया में हो रही है उसी तरह से भारत की तकनीकी का परचम भी पूरी दुनिया में लहरा रहा है।

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