बीमार के लिए तो हमारे गांव में आज भी डोली ही वंदे मातरम एक्सप्रेस है…..

अल्मोड़ा (दुगड़कोट गांव)। बरसात का मौसम आ गया है सब जगह पानी पानी हो रहा है। वर्षा के कारण शहरों की बहुत बूरी हालत हो रही है। ऐसे में सोचिए दूरदराज के गांव क्षेत्रों की क्या हालत हो रही होगी। जो क्षेत्र बिजली, पानी और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं से दूर हो रहे हैं। जनपद अल्मोड़ा के विधान सभा क्षेत्र सोमेश्वर के गांव दुगड़कोट की भी ये ही कहानी है। यहां सड़क मार्ग का निर्माण कार्य अभी भी कोसों दूर है। यहां के ग्रामवासी आज भी मरीजों को डोली में बैठाकर अस्पतालों तक ले जाने को मजबूर हैं।  

जब से सड़कें बनीं डोली का चलन बन्द हो गया है। आप इसे पहाड़ी एम्बुलेंस कह सकते हो। कभी इस पर दुल्हन को घर से बिदा करते थे। वैसे तो इसे पहाड़ में डोली कहते हैं। लेकिन ये हम पहाड़ियों की एम्बुलेंस भी है और खुशियों की सवारी भी है। हमारे पूर्वजों के द्वारा हम लोगों को  विरासत में दिया एक ऐसा अविष्कार है जिसके सामने आधुनिक विकास भी बगलें झाँकता फिरता है। विकास की आज तक हिम्मत नही हुई कि इसे हमसे दूर कर दें। करेगा भी कैसे बेचारा 5 साल में एक बार आता है। फिर सुनहरे सपने दिखा के चला जाता है और फिर आखिर में हम पहाड़ियों के काम यही डोली आती है। उक्त बात मोहन राम, धर्मेंद्र कमार, अनिल कुमार, महेश राम व समस्त दुगड़कोट ग्रामवसियों का कहना है।

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