भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् एव भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान द्वारा एडीकॉवेरियंस तकनीक द्वारा वन कार्बन मापन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

देहरादून। भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् के द्वारा अधिकारियो एवं कर्मचारियों की क्षमता विकास के लिए तीन दिवसीय एडीकॉवेरियंस तकनीक द्वारा वन कार्बन मापन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजन का शुम्भारम देहरादून में किया गयाद्य विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित पारितंत्र सेवाए सुधार परियोजना के बारे में चर्चा की गई है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अरूण सिंह रावत, महानिदेशक भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् ने बताया के जलवायु परिवर्तन एक ऐसा खतरा है जिसका मानव और प्राकृतिक संसाधनों पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ रहा है। जलवायु परिवर्तन के प्रभाव ने दुनिया भर में मनुष्यों को चिंतित कर दिया है और उपयुक्त जलवायु परिवर्तन न्यूनीकरण और अनुकूलन के उपायों को विकसित करने के लिए वैज्ञानिक समुदायों का ध्यान आकर्षित किया है। विभिन्न मानव जनित गतिविधियाँ जैसे जीवाश्म ईंधन का जलना, औद्योगीकरण, शहरीकरण, वनों की कटाई और वन क्षरण मुख्य रूप से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों की सांद्रता बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं।

डॉ0 राजेश शर्मा सहायक महानिदेशक भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद् ने परिषद् द्वारा किये गए सतत भूमि प्रबंधन के क्रियाकलापों पर चर्चा की। डॉ. सुरेश कुमार वैज्ञानिक भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान ने वन कार्बन मापन के लिए सुदूर संवेदन प्रडाली का उपयोग के बारे में बतायाद्य जंगल जलवायु परिवर्तन को रोकने के लोए बहुत उपयोगी जो की कार्बन डाइऑक्साइड को सोकते है और पर्यावरण को हानिकारक गैसों से मानव को बाचाते हैद्य डॉ0 हितेंद्र पडालिया, वरिष्ठ वैज्ञानिक भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान ने बताया की एडी कॉवेरियंस एक महत्वपूर्ण विषय है जिससे की जंगल में मोजूद वन कार्बन के बारे में जानकारी होती है।

डॉ0 आर एस रावत वैज्ञानिक व परियोजना प्रबंधक पारितंत्र सेवाए सुधार परियोजना के तहत जलवायु परिवर्तन में वन कार्बन मापन की भूमिका के महत्व को बताया। जंगल कार्बन सोक कर मनुष्य को पारितंत्र सेवाएं प्रदान करते हैद्य भारत ने पेरिस समझौता के तहत 2030 तक 2.5 से 3 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन सिंक को अतिरिक्त वनों एवं पेड़ो के माध्यम से तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

पारिस्थितिकी तंत्र सेवा सुधार परियोजना पर प्रस्तुतिकरण और वन कार्बन स्टॉक की माप और निगरानी का महत्व, इन-सीटू मापन,  उपग्रह डेटा और मॉडलिंग तकनीकों का उपयोग करके वन कार्बन चक्र को समझना, वन कार्बन विनिमय के मूल सिद्धांत, सिद्धांत, विधियों और परिणाम के मापन के लिए एड़ी सहप्रसरण तकनीक; प्रयोगात्मक डिजाइन (साइट, एड़ी सहप्रसरण अनुप्रयोग, फ्लक्स पदचिह्न की अवधारणा); सॉफ्टवेयर का उपयोग फ्लक्स, डेटा प्रोसेसिंग सिद्धांत, सुधार उपायों सहित प्रक्रियाएं, फ्लक्स डेटा का प्रसंस्करण और विश्लेषण, एडी कॉन्वर्सिस इंस्ट्रूमेंटेशन और इसका रखरखाव, लैंडस्केप स्तर पर वन कार्बन एक्सचेंज के एक्सट्रपलेशन के लिए मॉडल का अनुप्रयोग पर विशेषज्ञ डॉ. आर.एस. रावत, डॉ. शिल्पा गौतम, डॉ. हितेंद्र पडालिया, डॉ. टी. वाथम, डॉ. एस. नंदी और श्री. अनुज शर्मा इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में आईसीएफआरई, आईआईआरएस और कैंपबेल साइंटिफिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से व्याख्यान दिया और प्रशिक्षण के प्रतिभागियों के साथ ज्ञान साझा किया ।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के राज्य वन विभागों और आईसीएफआरई संस्थानों के 29 अधिकारी और वैज्ञानिक भाग ले रहे हैं। डॉ. मोहम्मद शाहिद, डॉ. एन. बोरा और प्रशिक्षण के उद्घाटन सत्र में आईसीएफआरई और आईआईआरएस के सुभाष गोदियाल और अन्य भी उपस्थित थे।

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