राज्य बनने के बाद नैनीताल को मंत्रिमंडल में नहीं मिला प्रतिनिधित्व

नैनीताल : अलग राज्य बनने के पांच विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, हर बार नैनीताल सीट से सत्ताधारी दल या समर्थित विधायक चुने गए लेकिन आज तक किसी को राज्य मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व नहीं मिला। इस बार भी उम्मीद बहुत कम ही है।अविभाजित उत्तर प्रदेश के दौर में नैनीताल सीट राजनीतिक रूप से बेहद अहम रही है। 70 के दशक में नैनीताल के विधायक प्रताप भैया स्वास्थ्य मंत्री रहे जबकि बंशीधर भगत अविभाजित उत्तर प्रदेश में 1991 में पहली बार नैनीताल विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। इसी सीट से 1993 और 1996 में दूसरी और तीसरी बार विधायक चुने गए। भगत को 1996 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार में खाद्य रसद राज्यमंत्री और वन राज्य मंत्री की जिम्मेदारी मिली जबकि राज्य की पहली अंतरिम सरकार में 2000 में कृषि, सहकारिता, दुग्ध, पशुपालन, गन्ना विभागों के कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी मिली।भगत के बाद अब तक कोई विधायक सरकार में मंत्री के रूप में शामिल नहीं हुआ। 2002 में राज्य के पहले विधानसभा चुनाव में उक्रांद के डॉक्टर एनएस जंतवाल विधायक चुने गए और उन्होंने एनडी तिवारी सरकार को समर्थन भी दिया था। 2007 में राज्य में भाजपा की पहली निर्वाचित सरकार बनी और नैनीताल से भाजपा के खड़क सिंह बोहरा विधायक चुने गए लेकिन सरकार में उन्हें जिम्मेदारी नहीं मिली।2012 में फिर से कांग्रेस सरकार बनी तो कांग्रेस की ही सरिता आर्य विधायक चुनी गई थी लेकिन पहले विजय बहुगुणा , फिर हरीश रावत के मंत्रिमंडल में उन्हें स्थान नहीं मिला। 2017 में भाजपा की सरकार प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई और संजीव आर्य विधायक चुने गए थे लेकिन उन्हें भी सरकार में जिम्मेदारी नहीं दी गई। इस बार कांग्रेस से भाजपा में शामिल सरिता आर्य नैनीताल से विधायक चुनी गई हैं तो सरिता के भी मंत्रिमंडल में शामिल होने की उम्मीद बेहद कम है।इसकी वजह यह है कि कोटद्वार से जीती महिला विधायकों में महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण व निर्वतमान कैबिनेट मंत्री व सोमेश्वर की विधायक रेखा आर्य के मंत्री बनने की संभावना अधिक है। केदारनाथ से जीती शैला रानी रावत की भी चर्चा है। ऐसे मे नैनीताल को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिलना मुश्किल है। भाजपा नेता मनोज जोशी के अनुसार मंत्रिमंडल में कौन चेहरा आएगा, यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है, अलबत्ता नैनीताल से संबंधित घोषणाओं को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हमेशा से संवेदनशील रहे हैं।

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