बरसात में पानी को तरस रहे हैं ग्रामवासी

उत्तराखण्ड में बहुत से गांव ऐसे हैं जहां पानी की समस्या काफी ज्यादा है राज्य सरकार व जलनिगम इस ओर काम भी कर रहे हैं गांव-गांव में पानी के पाईप बिछाये जा रहे हैं। केन्द्र सरकार का कहना है कि देश के सभी गांवों में पानी, बिजली व सड़क की समस्या को दूर किया जा रहा है।

ऐसे ही उत्तराखण्ड जनपद अल्मोड़ा में ब्लाॅक द्वाराहाट के डोटलगांव की कहानी है। यहां निगम द्वारा हर घर में नल लगाया गया है। किन्तु सरकार भूल गयी की उस नल में पानी की भी जरूरत होती है। अभी बरसात का मौसम शुरू ही हुआ है और गांव में जलनिगम द्वारा लगाये गये पाइप गाढ़ गधेरों के आने से बह गये हैं।

डोटल गांव के निवासी नौला के पानी व श्रोतों के पानी पर निर्भर हैं किन्तु बरसात के मौसम में श्रौतों व नौला का पानी भी काफी गंदा हो जाता है ऐसे में डोटलगांव के निवासी पानी के लिए भी तरस रहे हैं।

ग्रामप्रधान नीमा देवी का कहना है कि गांव में पानी की काफी समस्या है मौजूदा समय में नलों में पानी नाम मात्र का है सभी गांव वासी एक किलोमीटर दूर स्थित नदी के किनारे पानी के श्रौत से पीने का पानी लाते हैं किन्तु अब बरसात का मौसम है गाढ़ आ रही है जिस कारण वहां जाना भी संभव नहीं है।

पूर्व ग्रामप्रधान मदनमोहन सिंह ने बताया कि निगम द्वारा पाइप बिछाने में लापरवाही बरती गई है योजना में पुराने पाइप भी बिछाये गये हैं इसके अलावा जो नये पाइप लगाये गए, उनकी गुणवता भी काफी खराब है जिसके लिए ग्रामीण वासियों ने ऐतराज भी किया था। किन्तु विभाग द्वारा सभी को दरकिनार करते हुए ठेकेदार द्वारा काम करवाया गया। उन्होंने कहा कि लापरवाही से काम करते हुए पाइप लाइन नदी में बिछा दी गई। जिस कारण मात्र छह माह में ही योजना धराशायी हो गई।

ग्रामवासी हरीश चन्द्र ने कहा कि गांव में लगभग 10 किलोमीटर दूर जंगल में पानी की टंकी बनायी गई है जहां से गांव तक पानी के नल लगाये गये हैं जो आये दिन टूटते रहते हैं। गांव में शादी समारोह में पानी की काफी समस्या हो जाती है। उन्होंने सरकार व स्थानीय विधायक से आग्रह किया कि पानी की समस्या को दूर करें। वरना गांववासी प्यासे ही मर जायेंगे और नदी का पानी पीने को मजबूर रहेंगे। जिससे तरह-तरह की बिमारियों का होने का भी खतरा रहेंगा।  

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