देव-डोलियों का कुम्भ स्नान उत्तराखंड की देव संस्कृति को आगे बढ़ाने का प्रयासः महाराज

हरिद्वार डेस्क। कोरोना काल में श्रृद्धालु चार धाम यात्रा नहीं कर पाए, वह अपने देवी देवताओं के दर्शनों से भी वंचित रहे। लेकिन हर्ष का विषय है कि हमें अब हरिद्वार में ही 25 अप्रैल को कुम्भ स्नान में उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों से आई भव्य देव डोलियों के स्वागत और दर्शनों का लाभ प्राप्त होगा।उक्त बात आज यहाँ प्रेमनगर आश्रम में “श्री देवभूमि लोक संस्कृति विरासतीय शोभा यात्रा समिति” द्वारा आयोजित महाकुम्भ-2021में देवडोलियों के आगमन से पूर्व धर्म ध्वजा की स्थापना के अवसर पर प्रदेश के पर्यटन, सिंचाई, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री श्री सतपाल महाराज ने अपने संबोधन में कही।


श्री देवभूमि लोक संस्कृति विरासतीय शोभा यात्रा समिति के तत्वावधान में महाकुम्भ-2021में देवडोलियों के हरिद्वार स्नान आगमन से पूर्व आज प्रेमनगर आश्रम में श्री बद्रीनाथ जी एवं श्री वीर हनुमान जी की पवित्र धर्मध्वजा की स्थापना की गई। इस धार्मिक आयोजन के मुख्य यजमान प्रदेश के पर्यटन, सिंचाई, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री श्री सतपाल महाराज और उनकी धर्मपत्नी पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीमती अमृता रावत भी इस अवसर पर मौजूद रही। अनेक संत महात्माओं और हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में आज धार्मिक अनुष्ठान और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच प्रेमनगर आश्रम में श्री बद्रीनाथ जी एवं श्री वीर हनुमान जी की पवित्र धर्म ध्वजा की स्थापना की गई। इस भव्य आयोजन के अवसर पर मुख्य यजमान और प्रदेश के कैबिनेट मंत्री श्री सतपाल महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि इस आयोजन के माध्यम से सरकार उत्तराखंड की देव संस्कृति को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है। श्री महाराज ने आयोजन समिति के अध्यक्ष पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री मोहन सिंह रावत गांववासी की प्रशंसा करते हुए कहा कि देव डोलियों के आगमन से पूर्व धर्म ध्वजा स्थापना के लिए उन्होने बड़ी मेहनत की है। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास होगा कि वह इस आयोजन को उसी प्रकार से करें जिस प्रकार से हिमाचल प्रदेश में कुल्लू दशहरे के आयोजन पर रघुनाथ जी के दर्शन करने के लिए सभी देवी देवता उपस्थित होते हैं। श्री सतपाल महाराज ने कहा कि कुंभ में देव डोलियों के स्नान कार्यक्रम का प्रसारण सेटेलाइट के जरिए होना चाहिए जिससे संतों का राष्ट्रहित एवं विश्व कल्याण का संदेश दुनिया में पहुंच सके।

इस अवसर पर हरि चेतनानंद महाराज ने श्री सतपाल महाराज और मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत को साधुवाद देते हुए कहा कि कुंभ के आयोजन पर लगी पाबंदियों को हटाकर कैबिनेट ने धर्म के हित में निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस निर्णय से संत महात्मा काफी खुश हैं। हरि चेतनानंद महाराज ने कहा कि ऐसे ही निर्णय लेने चाहिए। अगर धर्म के लिए हम निर्णय नहीं लेंगे तो फिर कौन निर्णय लेगा? महामंडलेश्वर वीरेंद्र आनंद गिरि जी महाराज ने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा कि देव डोलियों का कुंभ के आयोजन पर स्नान एक दुर्लभ अवसर है इसका सभी को लाभ उठाना चाहिए।


आयोजन समिति के अध्यक्ष पूर्व काबीना मंत्री मोहन सिंह रावत गावंवासी ने कहा कि कुंभ में उत्तराखंड की देव-डोलियों के सामूहिक स्नान का कार्यक्रम वर्ष 2010 में शुरू हुआ था। उत्तराखंड की देव संस्कृति को जन जन तक पहुंचाने के लिए यह कार्यक्रम दिव्यता और भव्यता प्राप्त कर रहा है। अपनी लोक संस्कृति विरासत का संरक्षण और संवर्धन प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। यह कार्यक्रम कोई प्रदर्शन नहीं है बल्कि यह संस्कृति के प्रचार-प्रसार और संरक्षण का ही एक माध्यम है।
ज्ञात हो कि 24 अप्रैल को सभी देव-डोलियां ऋषिकेश में एकत्र होंगीं और नगर भ्रमण, रात्रि प्रवास के बाद 25 अप्रैल को हरिद्वार स्नान को आयेंगी। श्री देव भूमि लोक संस्कृति विरासतीय शोभायात्रा समिति के तत्वाधान में आज आयोजित पवित्र धर्म ध्वजा स्थापना समारोह में महंत विष्णु दास जी महाराज, आई.जी. कुम्भ मेला संजय गुंज्याल, बंशीधर पोखरियाल, विद्या दत्त रतूड़ी, संजय शास्त्री, रमा बल्लभ भट्ट, हर्ष मणि व्यास, ज्योति सजवाण, कार्यक्रम संयोजक महंत अनिल गिरी और सह संयोजक मुकेश जोशी सहित अनेक संत महात्मा और प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आए श्रद्धालु उपस्थित थे।

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