टैक्सी चालक के बेटे को एसटीएच में नहीं मिला इलाज

 हल्द्वानी : डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में दो-दो न्यूरोसर्जन हैं। फिर भी गरीब परिवार के बेटे को इलाज नहीं मिल सका। निजी अस्पताल के आइसीयू में भर्ती सूरज चौहान कोमा में हैं। जैसे-तैसे कर्ज लेकर चार लाख रुपयों का भुगतान कर दिया है। अब आर्थिक संकट में डूबा परिवार मदद की गुहार लगा रहा है।मूल रूप से अल्मोड़ा निवासी सुभाष चौहान टैक्सी चलाते हैं। शहर में किराए के मकान में रहते हैं। घटना एक मार्च की है। 22 वर्षीय सूरज प्रेमपुर लोश्ज्ञानी से होते हुए स्कूटी से कंप्यूटर प्रशिक्षण के लिए जा रहा था। दुर्घटना में घायल हो गया। स्वजन उसे एसटीएच ले गए। वहां प्राथमिक उपचार मिला और सीटी स्कैन जांच भी हुई। पिता सुभाष का कहना है कि बेटे की हालत गंभीर थी। वहां पर स्टाफ ने न्यूरोसर्जन नहीं होने की बात कही और बेटे को तत्काल निजी अस्पताल ले जाने की सलाह दी गई।इसके बाद वह शहर के एक निजी अस्पताल में ले गए। तब से सूरज आइसीयू में भर्ती है। कोमा की हालत में है। सुभाष का कहना है कि अब तक जैसे-तैसे कर्ज लेकर चार लाख रुपये जमा कर दिए हैं। एक लाख से अधिक का बिल और बन गया है। बेटे की हालत अभी भी गंभीर बनी है। दिल्ली एम्स ने भी भर्ती करने से इन्कार कर दिया है। इतना पैसा नहीं बचा कि आगे इलाज करा सकें।अब लोगों व सामाजिक संस्थाओं से मदद की गुहार लगाई है।

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